भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की 9 दिसंबर की यात्रा से पहले बाँग्लादेश ने भारत को एक और झटका दिया है। इसने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में तेज़ इंटरनेट सप्लाई के लिए बैंडविथ समझौता को रद्द कर दिया है। बांग्लादेश द्वारा उठाए गए इस क़दम से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इंटरनेट सेवा पर काफ़ी ज़्यादा असर पड़ेगा। मुहम्मद यूनुस सरकार के इस नए क़दम को पाकिस्तान के साथ संबंधों को मज़बूत करने वाला और भारत के हितों को कमज़ोर करने वाला माना जा रहा है।
दरअसल, मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शेख हसीना सरकार के उस समझौते को पलट दिया है जिसमें निजी दूरसंचार ऑपरेटरों को कनेक्टिविटी की कमी वाले इस क्षेत्र में बैंडविड्थ की आपूर्ति के लिए बांग्लादेश को ट्रांजिट बिंदु के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी।
इस प्रस्ताव में भारत और बांग्लादेश के बीच त्रिपुरा में अखौरा सीमा का इस्तेमाल सिंगापुर से ट्रांजिट रूट के रूप में करना शामिल था, ताकि भारती एयरटेल के नेटवर्क के ज़रिए इस क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ा जा सके।
इस काम में बाँग्लादेश का ट्रांजिट प्वाइंट पूर्वोत्तर भारत के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इसके अलावा कोई भी ट्रांजिट रूट या प्वाइंट तेज इंटरनेट के लिए कारगर नहीं है। भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र घरेलू फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क का उपयोग करके चेन्नई में पनडुब्बी केबल के ज़रिए सिंगापुर से जुड़ा हुआ है। चूँकि चेन्नई में लैंडिंग स्टेशन पूर्वोत्तर से लगभग 5,500 किलोमीटर दूर है, इसलिए इंटरनेट की गति कम हो जाती है।
इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए बाँग्लादेश को ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल करने का पूर्ववर्ती सरकार के साथ समझौता हुआ था।
रिपोर्ट के अनुसार फरवरी में बांग्लादेश की दो प्रमुख दूरसंचार कंपनियों- समिट कम्युनिकेशंस लिमिटेड और फाइबर@होम ने सिंगापुर से बांग्लादेश के माध्यम से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक बैंडविड्थ चैनल करने के लिए बीटीआरसी से मंजूरी मांगी थी। इस प्रस्ताव में भारती एयरटेल के नेटवर्क के माध्यम से क्षेत्र को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने के लिए अखौरा सीमा को ट्रांजिट रूट के रूप में उपयोग करना शामिल था।
रिपोर्ट के अनुसार हालाँकि, बीटीआरसी के अध्यक्ष मुहम्मद इमदाद-उल-बारी ने इस सप्ताह कहा कि आयोग ने इस प्रस्ताव को वापस लेने का फैसला किया है क्योंकि इस तरह के कदम से क्षेत्रीय इंटरनेट हब के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी जबकि वैश्विक डिजिटल बुनियादी ढांचे में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरने की बांग्लादेश की क्षमता सीमित हो जाएगी। यह निर्णय बांग्लादेश के दूरसंचार क्षेत्र में राजनीतिक संबंधों पर चल रही जांच के बीच भी आया है।
यह नियामक कदम भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की 9 दिसंबर को उच्च स्तरीय परामर्श के लिए बांग्लादेश यात्रा के बीच आया है। मिस्री से उम्मीद की जाती है कि वे अपने बांग्लादेशी समकक्ष से मिलेंगे और क्षेत्रीय सुरक्षा और व्यापार संबंधों सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उनकी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव है, खासकर बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर।
इस सप्ताह की शुरुआत में अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग के परिसर में प्रदर्शनकारियों द्वारा बांग्लादेशी ध्वज को फाड़ने के बाद ढाका और नई दिल्ली के बीच तनाव बढ़ गया था।
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