अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए बनी मध्यस्थों की समिति ने मामले की मध्यस्थता को लेकर रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी है। समिति ने सभी पक्षों को कहा है कि वे इसकी गोपनीयता बनाये रखें। मध्यस्थों की समिति की बुधवार को फ़ैजाबाद में हुई पहली बैठक में इसको लेकर आदेश जारी किया गया है।
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जब मध्यस्थता समिति का एलान किया था, तब मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन हो या नहीं, यह फ़ैसला मध्यस्थता समिति के ऊपर छोड़ दिया था। अब राम मंदिर बाबरी मसजिद से जुड़े पक्षकारों के साथ बैठक अयोध्या में करने के बाद समिति के प्रमुख जस्टिस कलीफुल्ला ने निर्देश जारी किए हैं।
समिति ने इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। इसमें में साफ़ लिखा है कि प्रिंट और अन्य मीडिया पर यह रोक रहेगी। यानी न तो इलेक्ट्रॉनिक और न ही वेब मीडिया इस पर ख़बर प्रकाशित कर सकता है। दरसअल, सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने पिछली सुनवाई में समिति को यह अधिकार दिया था कि अगर वह चाहे तो मध्यस्थता की रिपोर्टिंग पर रोक लगा सकती है या रोक लगाने को लेकर संविधान पीठ में अर्ज़ी दाख़िल कर सकती है।
मध्यस्थों की समिति की बुधवार को फ़ैजाबाद में पहली बैठक हुई। इसमें 25 वादी अपने-अपने वकीलों के साथ समिति के सामने पेश हुए और अपने पक्ष रखे। बैठक में समिति के तीनों सदस्य, श्री श्री रविशंकर, जस्टिस फ़कीर मुहम्मद कलीफुल्लाह और वरिष्ठ वकील श्रीराम पाँचू मौजूद थे।
फ़ैजाबाद के ज़िला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से मंगलवार को सभी 25 वादियों को नोटिस जारी कर समिति के सामने पेश होने और अपना-अपना पक्ष रखने को कहा था। यह बैठक अवध विश्वविद्यालय में हुई। फ़ैजाबाद के ज़िला मजिस्ट्रेट ने कहा कि जिस जगह बैठक हुई, उसकी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई। किसी को वहाँ जाने की अनुमति नहीं है। सुुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कह दिया था कि मध्यस्थता की तमाम बैठकें बंद कमरे में होंगी और मीडिया को वहाँ जाने की अनुमति नहीं होगी।
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