क्या किसी मुसलिम युवक के साथ हुई बेवजह मारपीट का विरोध करना कोई ग़ुनाह है? आप कहेंगे नहीं, मुसलिम क्या किसी के भी साथ धर्म, जाति, भाषा क्षेत्र के आधार पर भेदभाव क़तई नहीं होना चाहिए और मारपीट को तो बर्दाश्त किया ही नहीं जा सकता।
लेकिन बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को एक मुसलिम युवक के साथ मारपीट का विरोध करने पर अपनी ही पार्टी के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। बीजेपी की विचारधारा का समर्थन करने वाले लोगों ने भी गंभीर का विरोध किया। पहले बताते हैं कि यह मामला क्या है।
“In Gurugram Muslim man told to remove skullcap,chant Jai Shri Ram”.
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) May 27, 2019
It is deplorable. Exemplary action needed by Gurugram authorities. We are a secular nation where @Javedakhtarjadu writes “ओ पालन हारे, निर्गुण और न्यारे” & @RakeyshOmMehra gave us d song “अर्ज़ियाँ” in Delhi 6.
My thoughts on secularism emanate from honourable PM Mr Modi’s mantra “सबका साथ, सबका विकास, सब का विश्वास”. I am not limiting myself to Gurugram incident alone, any oppression based on caste/religion is deplorable. Tolerance & inclusive growth is what idea of India is based on.
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) May 27, 2019
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि गंभीर का इस मामले में दिया बयान मासूमियत भरा था। उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसे मामलों में बयान देते समय ख़ासी सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि अब बीजेपी सत्ता में आ गई है और समाज का एक वर्ग ऐसी घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करेगा।दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष राजीव बब्बर ने कहा कि गंभीर के बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उनके मुताबिक़, यह साधारण सा ट्वीट है जिसमें अधिकारियों से कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
इसके बाद बयान देने का नंबर आया दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा का। बग्गा ने कहा, 'कुछ लोग गुरुग्राम में हुई इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। दो समूहों में होने वाली हर लड़ाई को हिंदू-मुसलिम का रंग देकर देश को बाँटने की कोशिश की जा रही है। मुसलिम पक्ष की ओर से पुलिस को दी गई सूचना में कहीं भी हिंदू-मुसलिम विवाद का जिक्र नहीं था लेकिन बाद में इसे सांप्रदायिक रंग दे दिया गया।'
ए भाई ज़रा देख के चलो
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) May 27, 2019
आगे ही नहीं, पीछे भी
दाएँ ही नहीं , बाएँ भी
ऊपर ही नहीं, नीचे भी
ए भाई !
क्यूँकि चरो तरफ़ खान मार्केट और टुकड़े टुकड़े गैंग से घिरे हो जो तुम्हें सेक्युलरिज़म के माया जाल में उलझा देंगे ! ‘छपास और दिखास’ को याद रखिए ! 🙏 https://t.co/Zpo8uJnyMp
सवाल यह उठता है कि क्या बीजेपी में इस तरह की घटनाओं को लेकर बोलना मना है। अगर मना है, जैसा कि गंभीर को ट्रोल किए जाने के बाद दिखता है तो फिर तो प्रधानमंत्री के बयान का कोई मतलब ही नहीं रह जाता है।
आख़िर प्रधानमंत्री यह क्यों नहीं कहते कि इस तरह की अगर एक भी घटना बीजेपी शासित राज्य में होती है तो वहाँ की सरकार इसके लिए ज़िम्मेदार होगी। सवाल यह भी है कि अगर गौतम गंभीर तक को आवाज़ उठाने पर ट्रोल किया जा सकता है तो उस पार्टी में आम कार्यकर्ता की क्या बिसात है जो इस तरह की घटनाओं पर अपनी राय रख सके। इस तरह की घटनाओं को लेकर सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेहद कड़ा रुख अपनाने की ज़रूरत है क्योंकि प्रचंड बहुमत मिलने के बाद उन्होंने ‘सबका विश्वास’ की बात कही है और यह तब होगा जब इसमें देश के 17 करोड़ से ज़्यादा मुसलमानों का विश्वास भी शामिल होगा। और यह विश्वास मुसलमान उन्हें तभी दिला पायेंगे जब उन्हें इस धर्मनिरपेक्ष मुल्क में उनके धर्म के कारण निशाना नहीं बनाया जाएगा।
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