पहले कलकत्ता हाई कोर्ट और उसके बाद मद्रास हाई कोर्ट के ज़बरदस्त फटकार मिलने के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग को होश आया है और उसने मतगणना के दिन के लिए नया आदेश जारी किया है। चुनाव आयोग ने मंगलवार को जारी एक आदेश में चुनाव नतीजों के बाद सड़क पर उतर कर जश्न मनाने या जुलूस निकालने पर रोक लगा दी है।
चुनाव आयोग ने कहा है, 'रिटर्निंग अफ़सर से चुनाव का सर्टिफ़िकेट लेने के लिए चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी या उसके प्रतिनिधि के साथ दो से ज़्यादा लोग नहीं जा सकेंगे।'
मतगणने के लिए क्या कहा था अदालत ने?
पाँच राज्यों के लिए हुए विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती 2 मई को होगी। इसे देखते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय चुनाव आयोग से कहा था कि वह तमिलनाडु के मुख्य चुनाव अधिकारी और राज्य सचिव के साथ बैठक करवाए और यह सुनिश्चित कराए कि मतगणना के दिन कोरोना प्रोटोकॉल का पालन पूरी तरह और हर हाल में हो। अदालत ने यह भी कहा था कि यदि ऐसा नहीं हो सकता तो मतगणना को टाल दिया जाए।
यह अहम इसलिए है कि मतगणना के दिन मतगणना केंद्रों के बाहर सभी दलों और उम्मीदवारों के सैकड़ों कार्यकर्ता जमा होते हैं, वे चुनाव नतीजों का एलान होते ही सड़क पर ही जश्न मनाने लगते हैं। वे सड़क पर पटाखे फोड़ते हैं, नाचते हैं, मिठाइयाँ बाटते हैं और नारेबाजी करते हैं, गुलाल उड़ाते हैं।
उसके बाद जीता हुआ उम्मीदवार विजय जुलूस निकालता है, जिसमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं। वे पूरे निर्वाचण क्षेत्र का चक्कर लगाते हैं। कोरोना को देखते हुए इस पर रोक लगाना ज़रूरी इसलिए था कि इससे कोरोना फैलता और यह लगभग सभी पाँच राज्यों में होता।
अदालत की तीखी टिप्पणी
मद्रास हाई कोर्ट का आदेश इसलिए भी अहम है कि उसने कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसके वरिष्ठ अफ़सरों पर हत्या का मुक़दमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि वे चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना नियमों का पालन कराने में नाकाम रहे। अदालत ने निर्देश दिया है कि आयोग मतगणना के दिन कोरोना नियमों को सख्ती से लागू करवाए वर्ना मतगणना स्थगित कर दे।
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