क्या बाबरी मसजिद से पहले वहाँ मंदिर था? क्या मुगल शासक बाबर ने किसी मंदिर को ध्वस्त कर वहाँ बाबरी मसजिद बनवायी थी? हिंदू पक्ष किस आधार पर वहाँ मंंदिर होने का दावा करता है? क्या उसके पास इसके सबूत हैं। क्या मुसलिम पक्ष के पास बाबरी मसजिद के मालिकाना हक होने के सबूत हैं? ये सवाल इसलिए कि अयोध्या विवाद सदियों से है। इस विवाद के कारण कई बार साम्प्रदायिक तनाव फैल गया। इसको सुलझाने के लिए आपसी बातचीत का रास्ता तक नहीं बचा है। आख़िरी उम्मीद अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला किसके पक्ष में आएगा? इस सवाल का आधिकारिक रूप से जवाब भले ही सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ही मिले, लेकिन भारतीय पुरातत्व विभाग यानी एएसआई के एक पूर्व अधिकारी को इस सवाल के जवाब पर कोई संदेह नहीं है। वह दावा करते हैं कि एएसआई की रिपोर्ट से साफ़ है कि वहाँ पहले से मंदिर था और बाबरी मसजिद के खंभों में मंदिर के अवशेष हैं। कौन हैं यह पूर्व अधिकारी और किस आधार पर कर रहे हैं यह दावा?
एएसआई के पूर्व अफ़सर का दावा, बाबरी मसजिद से पहले वहाँ मंदिर था
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- 6 Oct, 2019
क्या बाबरी मसजिद से पहले वहाँ मंदिर था? क्या मुगल शासक बाबर ने किसी मंदिर को ध्वस्त कर वहाँ बाबरी मसजिद बनवायी थी? एएसआई के एक पूर्व अधिकारी क्यों कहते हैं कि पहले मंदिर था।

यह पूर्व अधिकारी हैं एएसआई, उत्तर के क्षेत्रीय निदेशक रहे के.के. मुहम्मद। के.के. मुहम्मद उस टीम का हिस्सा थे जिसने पहली बार 1976-77 में उस विवादित जगह पर खुदाई की थी। उस दौरान अयोध्या विवाद इतना बड़ा मुद्दा नहीं था जितना 1990 के दशक के बाद हुआ है। पहली बार खुदाई वर्ष 1976-77 में प्रख्यात पुरातत्वविद् बी.बी. लाल के निर्देशन में की गई थी। लाल 1968 से 1972 तक एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक थे। के.के. मुहम्मद कहते हैं कि वह खुदाई करने वाली टीम के सदस्य थे और खुदाई में भाग लेने वाले एकमात्र मुसलिम थे। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा है कि विवादास्पद बाबरी मसजिद के नीचे पहले मंदिर के होने के साक्ष्य हैं और ये साक्ष्य एएसआई की खुदाई में मिले हैं। मुहम्मद ने ये बातें 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के साथ साक्षात्कार में कही हैं।