लड़कियां खूब पढ़ रही हैं
ASER रिपोर्ट बता रही है कि 11 से 14 साल की जो लड़कियां स्कूलों से दूर हो रही थीं, उसमें गिरावट आई है यानी लड़कियां अब पढ़ रही हैं। 2018 में इस आयु वर्ग की लड़कियों का ड्रॉप आउट रेट 4 फीसदी था, जो 2022 में 2% रह गया। अकेले यूपी में ही ड्रॉप आउट रेट लगभग 4% है लेकिन अन्य सभी राज्यों में कम है। यूपी को लड़कियों की पढ़ाई के मामले में ज्यादा मेहनत करना होगी। उसे वो वजहें तलाशनी होंगी कि राज्य में लड़कियों का डॉप आउट रेट कम क्यों नहीं हो रहा है।उत्साहजनक तस्वीर
15 से 16 साल वाली किशोरवय की लड़कियों को स्कूल भेजने से रोकने के अनुपात में भी कमी आई है। 2008 में राष्ट्रीय स्तर पर इस उम्र की 20% से अधिक लड़कियों को स्कूल में दाखिल नहीं किया गया था। दस साल बाद 2018 में यह आंकड़ा घटकर 13.5% रह गया था। लेकिन 2022 में यह आंकड़ा 7.9% पर जा पहुंचा है। इससे पता चलता है कि बड़ी लड़कियां भी खूब पढ़ रही हैं।
तीन फिसड्डी राज्य
अलबत्ता तीन राज्य ऐसे हैं जिनमें इस मामले में भी धब्बा लगा है। एमपी, यूपी और छत्तीसगढ़ में 15-16 की लड़कियों का तीनों राज्यों का कुलमिलाकर आंकड़ा 10% से ऊपर है। अलग से देखा जाए तो मध्य प्रदेश में 17%, उत्तर प्रदेश 15% और छत्तीसगढ़ 11.2% लड़कियों का एडमिशन नहीं हो रहा है। इस तरह एमपी और यूपी की हालत बहुत बुरी है। प्राइमरी क्लास और बड़ी क्लास को अगर जोड़कर देखा जाए तो यूपी और एमपी फिसड्डी साबित हो रहे हैं।एएसईआर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में ट्यूशन क्लास लेने वाले पहली से आठवीं क्लास के 30.5% छात्र हो गए है, जबकि 2018 में यह 26.4% था। रिपोर्ट के मुताबिक यूपी, बिहार और झारखंड में प्राइवेट ट्यूशन लेने वाले बच्चों के अनुपात में 2018 के मुकाबले 8 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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