मोदी सरकार ने तमाम विवादों को दरकिनार कर जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्ति कर दी है। कॉलिजियम ने अपने पुराने फ़ैसले को पलटते हुए इन दोनों जजों की सिफ़ारिश की थी। कॉलिजियम के इस फ़ैसले की तीखी आलोचना हो रही है। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस संजय कृष्ण क़ौल ने भी अपनी आपत्ति दर्ज़ करायी है। हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कैलाश गंभीर ने राष्ट्रपति कोविंद को चिट्ठी लिखकर दोनों जजों की नियुक्ति नहीं करने की गुहार लगायी थी। इस मामले पर तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों - जस्टिस लोढा, जस्टिस केहर और जस्टिस बालकृष्णन ने भी आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी कहा है कि जजों को बदलने के कॉलिजियम के फ़ैसले पर वह मुख्य न्यायाधीश से बात करेंगे। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकार कॉलिजियम को जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस खन्ना के मामले पर फिर विचार करने को कहेगी। पर ऐसा नहीं हुआ। सरकार के इस फ़ैसले ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।