विपक्षी दलों के बड़े नेताओं और पत्रकारों के फोन निशाने पर हैं। कई विपक्षी नेताओं और पत्रकारों को एप्पल ने आगाह किया है कि उनके फोन 'स्टेट स्पॉन्सर्ड अटैकर्स' यानी सरकार प्रायोजित हमलावरों के निशाने पर हैं। महुआ मोइत्रा, शशि थरूर, प्रियंका चतुर्वेदी, अखिलेश यादव सहित कम से कम दस ऐसे लोगों ने इसकी शिकायत की है। शशि थरूर ने तो दावा किया है कि उन्होंने इसको सत्यापित कराया है और इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि हुई है।
थरूर ने इसको लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने अपने फोन पर एप्पल से मिले चेतावनी वाले संदेशों के स्क्रीनशॉट को ट्वीट करते हुए लिखा है, 'एक एप्पल आईडी threat-notifications@apple.com से प्राप्त हुआ, जिसे मैंने सत्यापित कर लिया है। प्रामाणिकता की पुष्टि की गई। मेरे जैसे करदाताओं के खर्चों पर अल्प-रोज़गार वाले अधिकारियों को काम कराने में खुशी हुई! करने के लिए और कुछ भी अहम नहीं है?'
Received from an Apple ID, threat-notifications@apple.com, which I have verified. Authenticity confirmed. Glad to keep underemployed officials busy at the expenses of taxpayers like me! Nothing more important to do?@PMOIndia @INCIndia @kharge @RahulGandhi pic.twitter.com/5zyuoFmaIa
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 31, 2023
एप्पल की ओर से जिन नेताओं को चेतावनी भेजे गए हैं उसमें हाल ही में बीजेपी के निशाने पर आईं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा तो हैं ही, इनके अलावा कांग्रेस शशि थरूर, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, आप सांसद राघव चड्ढा, शिवसेना यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और सपा नेता अखिलेश यादव शामिल हैं। पत्रकार और द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन, डेक्कन क्रोनिकल के रेजिडेंट एडिटर श्रीराम कर्री और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन को भी एप्पल ने वह चेतावनी भेजी है।
इनको भेजे गए अलर्ट वाले ईमेल में कहा गया है, "आप जो भी हैं या आप जो करते हैं, इस वजह से ये हमलावर संभवतः आपको व्यक्तिगत रूप से निशाना बना रहे हैं। यदि आपके उपकरण के साथ किसी सरकार-प्रायोजित हमलावर ने छेड़छाड़ कर दी है, तो वे दूर से ही आपके संवेदनशील डेटा, बातचीत या यहाँ तक कि कैमरा और माइक्रोफ़ोन तक पहुंचने में सक्षम हो सकते हैं।'
महुआ मोइत्रा ने एक्स पर गृह मंत्रालय को टैग करते हुए लिखा है, 'एप्पल से मुझे चेतावनी भरा संदेश और ईमेल मिला कि सरकार मेरे फोन और ईमेल को हैक करने की कोशिश कर रही है।'
Received text & email from Apple warning me Govt trying to hack into my phone & email. @HMOIndia - get a life. Adani & PMO bullies - your fear makes me pity you. @priyankac19 - you, I , & 3 other INDIAns have got it so far . pic.twitter.com/2dPgv14xC0
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) October 31, 2023
उन्होंने एक के बाद कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा है कि 'इंडिया' गठबंधन के कई लोगों के फोन हैक करने की कोशिश की गई है। महुआ ने एक ट्वीट में कहा है, 'आधिकारिक तौर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिख रही हूँ, वह विपक्षी सांसदों की सुरक्षा के लिए राजधर्म का पालन करें और हमारे फोन/ईमेल हैक को लेकर गृह मंत्रालय के अधिकारियों को जल्द से जल्द बुलाएं। विशेषाधिकार समिति को पहल करने की जरूरत है। अश्विनी वैष्णव, यह सच में उल्लंघन है जिसके बारे में आपको चिंता करने की ज़रूरत है।'
प्रियंका चतुर्वेदी और पवन खेड़ा ने भी इसको लेकर गृह मंत्रालय और मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
Wonder who? Shame on you.
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) October 30, 2023
Cc: @HMOIndia for your kind attention pic.twitter.com/COUJyisRDk
Dear Modi Sarkar, why are you doing this? pic.twitter.com/3hWmAx00ql
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) October 31, 2023
एप्पल की सफाई
एप्पल इंक ने मंगलवार को एप्पल थ्रेट नोटिफिकेशन को लेकर मचे घमासान पर जवाब दिया है। एप्पल ने कहा है कि यह एक ग़लत अलार्म हो सकता है, ऐसे हमले का पता लगाना सिग्नल पर निर्भर करता है जो अक्सर सटीक और पूरे नहीं होते हैं। कंपनी ने एक बयान में कहा, 'एप्पल थ्रेट नोटिफिकेशन के लिए किसी खास सरकार-प्रायोजित हमलावर को जिम्मेदार नहीं ठहराता है।' इसने कहा है, 'सरकार-प्रायोजित हमलावर बहुत अच्छी तरह से वित्त पोषित और सॉफिस्टिकेटेड होते हैं। ऐसे हमलों का पता लगाना थ्रेट नोटिफिकेशन संकेतों पर निर्भर करता है जो अक्सर सटीक और पूरे नहीं होते हैं। यह संभव है कि कुछ एप्पल थ्रेट नोटिफिकेशन गलत अलार्म हों, या कुछ हमलों का पता ही नहीं चल पाए।'
एप्पल ऐसे हमलों को लेकर दो तरीकों से आगाह करता है-
- यूज़र द्वारा appleid.apple.com वेबसाइट पर साइन इन करने के बाद पेज के शीर्ष पर एक थ्रेट नोटिफिकेशन दिखता है।
- एप्पल उन ईमेल पतों और फ़ोन नंबरों पर एक ईमेल और iMessage अधिसूचना भेजता है जो यूज़र की एप्पल आईडी से जुड़े होते हैं।
एप्पल की वेबसाइट के अनुसार, उसका यह भी कहना है कि उसकी थ्रेट नोटिफिकेशन आपसे कभी भी किसी लिंक पर क्लिक करने, फ़ाइलें खोलने, ऐप्स या प्रोफ़ाइल इंस्टॉल करने, या ईमेल या फ़ोन द्वारा अपना एप्पल आईडी पासवर्ड या वेरिफिकेशन कोड देने के लिए नहीं कहता है। इसने कहा है कि 'इसलिए यदि आपको एप्पल की ओर से होने का दावा करने वाली कोई थ्रेट नोटिफिकेशन दिखाई देती है, जो आपसे किसी लिंक पर क्लिक करने या ऐप इंस्टॉल करने के लिए कहती है तो इसे अनदेखा करना सबसे अच्छा है। यह संभवतः किसी प्रकार का फ़िशिंग प्रयास है।'
इस मामले में सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया तो नहीं आई है, लेकिन बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने विपक्षी नेताओं की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया है, "आदतन संदिग्धों द्वारा 'सरकार प्रायोजित' हमले पर हंगामा खड़ा करना और शहीद होने का नाटक करना अच्छी बात है... लेकिन पूरी संभावना है कि यह हो-हल्ला पहले की तरह फुस्स हो जाएगा! एप्पल की सफाई का इंतज़ार क्यों न किया जाए? या क्या आक्रोश जताने का मौका छोड़ना नहीं चाहते?'
Usual suspects raising a storm over ‘state sponsored’ attack and pretending to be martyrs is all good… But this hullabaloo, in all probability, like in the past, will end up as damp squib!
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 31, 2023
Why not wait for Apple to clarify? Or is it too much to let go an opportunity to outrage?
पत्रकार और टेक्नेलॉजी पॉलिसी के जानकार निखिल पाहवा ने भी एप्पल की चेतावनी को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है। उन्होंने ट्वीट किया है, 'सॉफिस्टिकेटेड हमले, एकाधिक वेक्टर: ऐसे हमलों से बचना लगभग असंभव है, क्योंकि वे आपको किसी भी माध्यम से लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं...।'
उन्होंने ट्विटर थ्रेड में कहा, 'मुझे यह भी बताया गया है कि समीर सरन जैसे गैर राजनीतिक लोग भी प्रभावित हुए हैं। एक अन्य पत्रकार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि यह एप्पल के सॉफ्टवेयर की खराबी है। समीर साइबर पॉलिसी में गहराई से लगे हुए हैं, और मुझे आश्चर्य होगा अगर एक सॉफ्टवेयर खराबी केवल कुछ चुनिंदा भारतीयों को प्रभावित करती है, खासकर वे जो राजनीतिक रूप से जुड़े हुए हैं।'
Cyber policy, and I would be surprised if a "software malfunction" impacts only a select few Indians, especially those who are politically engaged.
— Nikhil Pahwa (@nixxin) October 31, 2023
If you're impacted, don't take any denial seriously. Take precautions. Switch device, number, set up a daily auto reboot, and
13/n
उन्होंने आगे कहा है, 'यदि आप प्रभावित हैं, तो किसी भी इनकार को गंभीरता से न लें। सावधानी बरतें। डिवाइस, नंबर स्विच करें, दैनिक ऑटो रीबूट सेट करें और अपने डिवाइस के फोरेंसिक विश्लेषण के लिए साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ से परामर्श लें।
मुझे लगता है कि कभी-कभी ज़्यादा शतर्क हो जाना अधिक सुरक्षित होता है।
पेगासस मामले के बाद आया था 'थ्रेट नोटिफिकेशन'
एप्पल उन यूज़रों को धमकी वाली सूचनाएँ जारी कर रहा है जिनके बारे में उसका मानना है कि वे 'सरकार-प्रायोजित हमलों' के शिकार हैं। एप्पल ने यह फंक्शन सबसे पहली बार तब शुरू किया था जब दो साल पहले पेगासस स्पाइवेयर का मामला ख़बरों में आया था। यह ख़बर एप्पल द्वारा iPhones को हैक करके अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने के लिए इजराइली एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुक़दमा दायर करने के बाद आई थी। रॉयटर्स की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया था कि एप्पल ने थाईलैंड में चेतावनी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि एक्टिविस्ट संभवतः सरकार प्रायोजित हमले के शिकार थे।
तब 2021 में एमनेस्टी इंटरनेशनल और सिटीजन लैब की एक जांच से पता चला था कि पेगासस स्पाइवेयर दुनिया भर में कई पत्रकारों, एक्टिविस्टों और सरकारी आलोचकों के आईफोन और एंड्रॉइड फोन को हैक करने में सक्षम था। पेगासस ने दिखाया कि कैसे विशेष रूप से iPhones को स्पाइवेयर द्वारा निशाना बनाया गया था और iMessage असुरक्षित था। एप्पल ने बाद में कई खामियों को ठीक करने के लिए सॉफ़्टवेयर अपडेट जारी किए थे।
बता दें कि मोदी सरकार पहले से ही जासूसी के आरोपों का सामना कर रही है। 2019 और 2021 में पत्रकारों और एक्टिविस्टों के फोन पर हैकिंग टूल पेगासस से हमला किए जाने के आरोप लगे थे। हालाँकि सरकार ने आधिकारिक तौर पर इसे स्वीकार नहीं किया है कि उसने इजरायली समूह एनएसओ से स्पाइवेयर को लगाया था। लेकिन तकनीक के क्षेत्र में काम करने वाली कई कंपनियों और एमनेस्टी इंटरनेशनल के टैक लैब ने कई लोगों के फोन में पेगासस जैसे स्पाइवेयर होने के दावे किये।
2021 में भारत में एक दर्जन से अधिक फोन - राजनेताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के फोन में इजरायली स्पाइवेयर होने की रिपोर्ट आई थी। तब जिन लोगों के फोन को निशाना बनाया गया था उनमें विपक्ष के नेता, वकील, एक मौजूदा न्यायाधीश, एक चुनाव आयुक्त, अपदस्थ सीबीआई निदेशक जैसी शख्सियतें थीं। इस स्पाइवेयर के उपयोग के मामलों की जांच के लिए गठित सुप्रीम कोर्ट की समिति की अंतिम रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। मोदी सरकार ने इस सवाल को टाल दिया कि क्या उसने पेगासस का इस्तेमाल किया था। लेकिन उसने स्पाइवेयर खरीदने और तैनात करने से कभी इनकार भी नहीं किया है।
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