कोरोना संक्रमण से उबरने या फिर वैक्सीन लगाने से शरीर में आई एंटीबॉडी के तीन महीने में धीरे-धीरे ख़त्म होने से जो चिंताएँ उठ रही थीं, वह दरअसल, ज़्यादा चिंता की बड़ी वजह नहीं है। यदि शरीर में एंटीबॉडी ख़त्म भी हो जाए तो हमारे इम्युन सिस्टम में बी सेल और टी सेल ऐसे हैं जो कोरोना वायरस को याद रख लेते हैं। फिर जब शरीर पर ऐसे वायरस का हमला होता है तो प्रतिक्रिया में इम्युन सिस्टम तुरत काम शुरू कर देता है और मरीज को गंभीर स्थिति में नहीं पहुँचने देता है। यानी तीन महीने में एंटीबॉडी ख़त्म भी हो जाए तो इम्युन सिस्टम उस वायरस को 6 महीने बाद भी याद रखता है। यानी इसे इम्युन सिस्टम का बैक-अप प्लान कह सकते हैं। इसे बूस्टर खुराक की ज़रूरत भी नहीं होती है।
एंटीबॉडी ख़त्म भी हो जाए तो शरीर का इम्युन कोरोना को याद रखता है: शोध
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- 30 Aug, 2021
कोरोना संक्रमण से लड़ने वाली एंटीबॉडी यदि शरीर में ख़त्म भी हो जाए तो हमारे इम्युन सिस्टम में बी सेल और टी सेल ऐसे हैं जो कोरोना वायरस को याद रख लेते हैं। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। यहाँ पर एमआरएनए टीकों के लिए तकनीक विकसित की गई थी। इसी ने शोध के आधार पर यह बात कही है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए 61 लोगों पर टीके लगाने के छह महीने तक अध्ययन किया है। शोधकर्ताओं की टीम ने नोट किया कि एंटीबॉडी धीरे-धीरे कम हो गई, लेकिन शॉट्स ने बी और टी कोशिकाओं के रूप में SARS-CoV-2 के प्रति टिकाऊ प्रतिरक्षा मेमरी पैदा की जो समय के साथ बढ़ी और इससे बीमार के गंभीर नहीं होने में मदद मिली।