भारत में एंटीबायोटिक दवाएं बेरोकटोक मरीजों को खिलाई जा रही हैं। डॉक्टरों से लेकर दवा कंपनियां तक कोई नियम कानून मानने को तैयार नहीं हैं। कोविड के दौरान और बाद में तो इनका इस्तेमाल और भी बढ़ गया। लैंसेट ने एक स्टडी के बाद इस संबंध में अपनी रिपोर्ट जारी की है। लैंसेट की रिपोर्ट को भारतीय मीडिया ने हालांकि अलग-अलग नजरिए से पेश किया है लेकिन कुल मिलाकर लैंसेट ने स्पष्ट तौर पर संकेत दिया है कि भारतीय मेडिकल क्षेत्र में नैतिकता का पालन डॉक्टर से लेकर दवा कंपनियां नहीं कर रही हैं। लैंसेट की स्टडी के मुताबिक भारत में 44 फीसदी लोग अस्वीकृत एंटीबायोटिक दवाइयां खा रहे हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में भी दवा के गंदे धंधे का उजागर करने वाला मुकदमा शुरू हुआ है।
एंटीबायोटिक दवाओं का गोरखधंधा और लैंसेट रिपोर्ट
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- 29 Mar, 2025
भारत में एंटीबायोटिक दवाओं की बेरोकटोक बिक्री पर लैंसेट की रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसा केस आ चुका है कि किस तरह कुछ डॉक्टर और दवा कंपनियां मिलकर इस गोरखधंधे को चला रही हैं। जानिए पूरी कहानी।
