बता दें कि दसॉ रफ़ाल की मूल कंपनी है।
यह 2018-19 की बात है जब रफ़ाल के मुद्दे पर भारत में राजनीतिक तूफान मचा हुआ था और इस पूरे सौदे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
'द वायर' के अनुसार, दसॉ एवियेशन के भारतीय प्रतिनिधि वेंकट राव पोसीना, साब इंडिया के प्रमुख इंदरजीत और बोइंग इंडिया के प्रमुख प्रत्यूष कुमार के नाम भी एनएसओ की सूची में थे।
बोइंग और साब भी हवाई जहाज बनाते हैं और शुरू में उन्होंने भी भारतीय वायु सेना को लड़ाकू विमान बेचने में दिलचस्पी दिखाई थी।
'द वायर' ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि फ्रांस की एक एनर्जी फर्म ईडीएफ़ के प्रमुख हरमनजीत नागी का भी नाम लीक हुए डाटाबेस में है।
रफ़ाल विमान सौदे में कब क्या हुआ?
- 2007 : यूपीए सरकार ने भारतीय वायु सेना की माँग पर 126 लड़ाकू हवाई जहाज़ खरीदने से जुड़ी निविदाएं जारी कीं।
- जनवरी, 2012 : फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एवियेशन ने सबसे कम कीमत की निविदा डाली। जिन 126 लड़ाकू जहाजों की आपूर्ति की बात कही गई थी, तय हुआ था कि उनमें से 18 जहाज़ तैयार कर फ़्लाई अवे स्थिति में फ्रांस से उड़ा कर भारत लाया जाएगा। दसॉ शेष 108 लड़ाकू जहाज़ भारत में सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एअरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिल कर बनाएगी।
- 2014 : दसॉ और एचएएल ने एक समझौते पर दस्तख़त किए। बातचीत पूरी हो गई, पर अंतिम क़रार नहीं हुआ था। जून 2015 : रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 126 लड़ाकू विमान खरीदने की निविदा वापस ले ली।
- अप्रैल 2015 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस के दौरे पर गए और वहीं 36 रफ़ाल विमान खरीदने का एलान कर दिया। जनवरी 2016 : तत्कालीन फ़्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद गणतंत्र दिवस पर भारत आए, रफ़ाल विमान खरीदने के मुद्दे पर भारत और फ्रांस के बीच सहमति पत्र पर दस्तख़त हुआ।
- नवंबर 2018 : रफ़ाल विमान खरीद के मुद्दे पर लंबी सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई में बने खंडपीठ ने फ़ैसला सुरक्षित रखा।
- 14 दिसंबर, 2018 : रफ़ाल लड़ाकू विमान खरीद मामले में कोर्ट की देखरेख में जाँच कराने की माँग की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि लड़ाकू जहाज़ की कीमत तय करना उसका काम नहीं है।
- मई, 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और मशहूर वकील प्रशांत भूषण की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी कर फ़ैसला सुरक्षित रखा।
- अक्टूबर, 2019 : भारत को पहला रफ़ाल विमान मिला। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस में एक कार्यक्रम में इसे स्वीकार किया।
- नवंबर, 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने तमाम पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं।
नामी हस्तियां निशाने पर
ग़ैर-सरकारी संगठन फ़ोरबिडेन स्टोरीज़ ने सॉफ़्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ के ग्राहकों का जो डेटा बैंक हासिल किया है, उसमें फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैन्युएल मैक्रों, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का भी नाम शामिल है।
इसके अलावा इराक़ी राष्ट्रपति बरहाम सालेह, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रमफोसा के फ़ोन नंबर भी उस सूची में पाए गए हैं। यानी संभावित जासूसी में उनके नाम भी हैं। लेबनान के प्रधानमंत्री साद हरीरी, युगांडा के रुहकना रुगुन्डा और बेल्जियम के प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल भी निशाने पर थे।
इज़रायल में जांच शुरू
पेगासस सॉफ़्टवेयर के ज़रिए ग़ैरक़ानूनी जासूसी पर पूरी दुनिया में मचे तहलके के बीच इज़रायल ने इसकी उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी है। इसके लिए एक अंतर-मंत्रिमंडलीय टीम का गठन किया गया है जो इसके दुरुपयोग किए जाने के आरोपों की जांच करेगी।
इज़रायली जांच एजेंसी नेशनल सुरक्षा परिषद से कहा गया है कि वह इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करे। नेशनल सुरक्षा परिषद ही एनएसओ से इस स्पाइवेयर के निर्यात का कामकाज देखता है।
पेगासस सॉफ़्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ टेक्नोलॉज़ीज़ इज़रायल की एक निजी कंपनी है, जिसका मुख्यालय तेल अवीव के नज़दीक हर्त्ज़लिया में है। इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी शालेव हूलियो और दूसरे ज़्यादातर कर्मचारी इज़रायली नागरिक ही हैं।
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