सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मुद्दों पर भारत में सर्वे करने वाली संस्था लोकलसर्कल्स ने दिवाली से पहले दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद के निवासियों के बीच सर्वे किया था। उसे 9,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। करीब 32% परिवारों ने इस बार भी पटाखे फोड़ने की बात कही थी। इस सर्वे को मिंट अखबार ने प्रकाशित किया था। लेकिन रविवार को जब दिल्ली एनसीआर में दिवाली मनाई गई तो वायु प्रदूषण में 14 फीसदी का उछाल देखा गया। जाहिर है कि सिर्फ 32% नहीं, बल्कि लोगों ने बड़े पैमाने पर पटाखे छोड़कर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेशों का उल्लंघन किया।
कौन है इस प्रदूषण का जिम्मेदार, दक्षिणपंथी इसकी आड़ में क्यों कर रहे हैं राजनीति
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- 29 Mar, 2025
दिल्ली ही नहीं देश के कई शहरों में दिवाली पर छोड़े गए पटाखों की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ गया है, लेकिन जनता इस बात पर विचार करने को तैयार नहीं है। दक्षिणपंथी संगठन और एक खास राजनीतिक दल के नेताओं ने तो खुलकर पटाखा छोड़ने का समर्थन किया। उन्होंने इसे आस्था से जोड़ दिया। दूसरे नेता ने इस जनता का असहयोग आंदोलन करार दे दिया। सोचिए कि किस तरफ देश और समाज बढ़ रहा है।
