दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ अलीगढ़ स्थित एएमयू और दिल्ली के जामिया क्षेत्र में कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित यूएपीए और राजद्रोह मामले में शरजील इमाम को वैधानिक जमानत दे दी। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने इमाम की जमानत याचिका को मंजूरी दी। शरजील इमाम ने निचली अदालत के वैधानिक जमानत से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी थी।
लाइव लॉ के मुताबिक शरजील इमाम ने अधिकतम सात साल की सजा की आधी अवधि काट लेने के आधार पर जमानत मांगी थी। इमाम पर जो धाराएं लगी हैं, उनमें अधिकतम सजा की अवधि सात साल है। हालांकि बुधवार को जमानत के बावजूद, वह दिल्ली दंगों से संबंधित बड़े साजिश मामले में अपनी कथित संलिप्तता के कारण जेल में रहेंगे, जिसमें यूएपीए के आरोप भी शामिल हैं।
वकील तालिब मुस्तफा और अहमद इब्राहिम ने इमाम का प्रतिनिधित्व किया, जबकि एसपीपी रजत नायर ने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व किया। मुस्तफा ने तर्क दिया कि इमाम पहले ही अधिकतम सात वर्षों में से चार साल सात महीने जेल में बिता चुके हैं। इसके विपरीत, नायर ने तर्क दिया कि इमाम ने अपनी आधी सजा पूरी नहीं की है। सीआरपीसी की धारा 436ए के स्पष्टीकरण का हवाला देते हुए तर्क दिया कि इमाम वैधानिक जमानत के लिए पात्र नहीं थे। नायर ने सुनवाई से पहले हिरासत में देरी के लिए भी इमाम को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि 2022 में उनके कहने पर मुकदमे पर रोक लगा दी गई थी।
शरजील इमाम को इससे पहले फरवरी 2023 में जामिया केस में बरी किया गया था। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 2019 में दर्ज जामिया हिंसा मामले में 4 फरवरी 2023 को एक्टिविस्ट शरजील इमाम, छात्र नेता आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर समेत 11 लोगों को बाइज्जत बरी कर दिया। 2019 में जामिया के छात्र सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस दौरान हिंसा भड़क उठी थी। शरजील पर यहां लोगों को उकसाने और देशविरोधी बयान देने का आरोप लगा था। शरजील को 2021 में जमानत मिली थी। लेकिन शरजील पर कई एफआईआर हैं, इसलिए इस केस में बरी होने के बावजूद वो जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि शरजील इमाम ने कथित तौर पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भाषण दिया था, जहां उन्होंने दिल्ली को शेष भारत से काट देने की कथित धमकी दी थी। हालांकि उनके वकील ने कोर्ट में कहा था - शरजील ने अपने भाषण में किसी हिंसा की बात नहीं की थी। उन्होंने किसान आंदोलन की तर्ज पर दिल्ली को घेरने की बात कही थी। जिससे दिल्ली का संपर्क देश के तमाम हिस्सों से कट जाता।
दिल्ली का दंगा
शाहीनबाग आंदोलन के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी 2020 को साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। ये दंगे 25 फरवरी 2020 तक चले थे। कई मस्जिदों को आग के हवाले कर दिया गया। सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र जाफराबाद, वेलकम, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजुरी खास, गोकलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर थे। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे। मरने वालों में 40 मुसलमान और 13 हिन्दू थे। बुजुर्ग औरतों तक आग के हवाले कर दिया गया था। इस मामले में सैकड़ों एफआईआर और गिरफ्तारियां हुईं। समुदाय विशेष के लोगों की गिरफ्तारियां भारी तादाद में हुईं। दंगा पीड़ितों की लड़ाई आज भी जारी है। छात्र नेता रहे उमर खालिद और शरजील इमाम को दिल्ली दंगों में भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। उमर खालिद की जमानत याचिका हर बार नामंजूर हो जाती है। अभी तक कम से कम एक दर्जन बार उमर खालिद के लिए जमानत याचिका लगाई गई।
शाहीनबाग आंदोलन के दौरान ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी हो रहे थे। उसी दौरान बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने नारा लगाया था- 'देश के गद्दारों को...' इस पर भीड़ ने '...गोली मारो... को' बोलकर इस नारे को पूरा किया था। प्रवेश वर्मा ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में प्रदर्शन करने वालों के बारे में कहा था कि 'ये लोग घरों में घुसेंगे और बहन व बेटियों का रेप करेंगे।' हालांकि अब जब 2024 में चुनाव हुए तो दिल्ली में प्रवेश वर्मा सहित कई लोगों के टिकट भाजपा ने काट दिए थे। लेकिन अनुराग ठाकुर आज भी मंत्री है। इस नारेबाजी का मामला दिल्ली हाईकोर्ट भी पहुंचा। जब इस मामले की सुनवाई जस्टिस मुरलीधर को कोर्ट में हुई तो रातोंरात उनका तबादला कर दिया गया। हालांकि उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अनगिनत लोग जेल में है, लेकिन अनुराग ठाकुर केंद्र में मंत्री हैं।
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