वाराणसी में एक दलित प्रोफेसर की एंट्री काशी विद्यापीठ में इसलिए रोक दी गई है, क्योंकि उन्होंने नवरात्रि में महिलाओं को लेकर एक टिप्पणी सोशल मीडिया पर की है। काशी विद्यापीठ ने इस गेस्ट प्रोफेसर की सेवाएं भी समाप्त कर दी हैं। काशी विद्यापीठ ने यह कार्रवाई आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी के दबाव पर की। तमाम दलित संगठनों ने काशी विद्यापीठ की इस हरकत की कड़ी निन्दा की है।
द हिन्दू अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में दलित गेस्ट प्रोफेसर मिथिलेश कुमार गौतम ने सोशल मीडिया पर भारतीय महिलाओं को सुझाव दिया कि नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाली महिलाएं इस दौरान भारतीय संविधान और हिन्दू कोड बिल को पढ़ें तो वो अपने जीवन की गुलामी और भय से छुटकारा पा जाएंगी। इस टिप्पणी के अंत में उन्होंने जय भीम भी लिखा है।
जातिवाद : काशी विद्यापीठ में नवरात्री पर पोस्ट करने पर दलित प्रोफेसर Mithilesh Gautam को नौकरी से निकाला। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कही ये बात
— The Shudra (@TheShudra) October 1, 2022
वीडियो देखें - https://t.co/CyTQQDEACc
Follow @TheShudra & @TheNewsBeak pic.twitter.com/ZJyMlqoaHW
गुरुवार को यूनिवर्सिटी कैंपस में एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने भी विरोध प्रदर्शन किया और फैकल्टी के खिलाफ नारेबाजी की। एबीवीपी काशी यूनिट के ज्ञानेंद्र ने दावा किया कि आम छात्रों ने भी अपने वैचारिक झुकाव को अलग रखते हुए संघर्ष में बड़ी संख्या में भाग लिया। इस फैकल्टी के बयान पहले भी धर्म और आस्था के खिलाफ हुआ करते थे।
अपनी राय बतायें