मेघालय के राज्यपाल के पद से रिटायर होने वाले सत्यपाल मलिक के बारे में कहा जा रहा है कि वह अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर सकते हैं। हालांकि सत्यपाल मलिक ने इससे पूरी तरह इनकार किया है। सत्यपाल मलिक के राजनीति में उतरने की अटकलें इस वजह से तेज हुई क्योंकि वह 3 अक्टूबर को शामली में आयोजित किसान सम्मेलन में राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ मंच साझा करने वाले थे।
लेकिन प्रशासन ने शामली जिले में धारा 144 लगा दी है जिसके बाद किसान सम्मेलन को स्थगित कर दिया गया है।
सत्यपाल मलिक किसान आंदोलन के दौरान लगातार कुछ न कुछ ऐसा बोलते रहे जिससे बीजेपी और मोदी सरकार की खासी किरकिरी हुई थी। मलिक के लगातार हमलों के बाद भी मोदी सरकार उन्हें राज्यपाल के पद से हटाने की हिम्मत नहीं दिखा पाई थी।
मलिक ने कुछ महीने पहले कहा था कि वह राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद पूरे उत्तर भारत में प्रचार करेंगे और वर्तमान सरकार को भगाएंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें पद जाने का कोई डर नहीं है।
सभी को इस बात की जानकारी थी कि सत्यपाल मलिक 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं इसलिए राष्ट्रीय लोकदल ने शामली में किसान सम्मेलन रखा था और उसमें सत्यपाल मलिक को भी बुलाया था। तब यह चर्चाएं शुरू हो गई थी कि सत्यपाल मलिक राष्ट्रीय लोकदल के साथ जाएंगे और 2024 के लोकसभा चुनाव में कैराना संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरेंगे।
लेकिन सत्यपाल मलिक ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा है कि वह कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे और ना ही चुनावी राजनीति में आएंगे। सत्यपाल मलिक ने एनडीटीवी को बताया कि अगले हफ्ते वह तीन बैठकों में भाग लेंगे और इनमें से कोई भी बैठक किसी राजनीतिक दल की नहीं है।
मलिक ने कहा कि शामली में 3 अक्टूबर को होने वाला किसान सम्मेलन किसी राजनीतिक दल का नहीं था बल्कि सिर्फ किसानों का सम्मेलन था। पूर्व राज्यपाल ने बताया कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी उनके पास आए थे और पूछा था कि क्या वह उनके साथ मंच साझा कर सकते हैं तो इस पर मलिक ने उनसे कहा कि उन्हें इस बात से कोई परेशानी नहीं है लेकिन वह किसी के झंडे के नीचे नहीं हैं।

बीजेपी के साथ है लड़ाई
मलिक ने इस बात को साफ किया कि ना तो वह किसी राजनीतिक दल में शामिल होंगे और ना ही वह कोई चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी किसानों के मसले हल करेगी तो वह उसका समर्थन करेंगे लेकिन अभी वह बीजेपी से लड़ाई लड़ रहे हैं क्योंकि इस पार्टी ने किसानों के साथ छल किया है और वह किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस नहीं ले रही है।
उन्होंने कहा कि किसान उन्हें जहां भी बुलाएंगे, वह वहां जरूर जाएंगे किसान अगर कोई लड़ाई नए सिरे से लड़ेंगे तो वह उसमें भी जाएंगे। कुछ महीने पहले सत्यपाल मलिक का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि किसान आंदोलन के मामले में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले तो थोड़ी देर में उनका उनसे झगड़ा हो गया था।

किसान बेल्ट में होगा असर?
सत्यपाल मलिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाके से आते हैं और इस इलाके में किसान आंदोलन बेहद मजबूत रहा था। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिम में चुनाव प्रचार के दौरान किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था। सत्यपाल मलिक के पास राजनीति में कई दशकों का लंबा अनुभव है। अगर वह बीजेपी के खिलाफ कोई अभियान शुरू करेंगे तो निश्चित रूप से इसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान की किसान बेल्ट में खासा असर हो सकता है।
यहां सवाल इस बात का भी है कि किसान सम्मेलन से ठीक पहले प्रशासन ने आखिर धारा 144 क्यों लगा दी। क्या उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को इस बात का डर है कि सत्यपाल मलिक बीजेपी के लिए मुश्किल बन सकते हैं। लेकिन लोकतांत्रिक ढंग से की जा रही किसी रैली से पहले धारा 144 लगाने की कोई वजह समझ नहीं आती।
अब जब सत्यपाल मलिक रिटायर हो चुके हैं और उन्होंने कहा है कि वह आने वाले दिनों में तमाम किसान संगठनों के साथ किसानों के मुद्दों पर आवाज उठाएंगे ऐसे में योगी आदित्यनाथ सरकार उन्हें उनके लोकतांत्रिक हक से कब तक रोक पाएगी, यह देखने वाली बात होगी।
सत्यपाल मलिक ने इस बात को साफ कर दिया है कि वह न तो किसी राजनीतिक दल में शामिल होंगे और ना ही कोई चुनाव लड़ेंगे। इसलिए ऐसा लगता है कि मलिक किसानों को गोलबंद करके मोदी सरकार के खिलाफ बीते साल हुए किसान आंदोलन जैसा ही कोई नया संघर्ष खड़ा कर सकते हैं।
एक साल तक चले किसानों के आंदोलन के बाद मोदी सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था। इसके अलावा किसानों की कई और मांगों को भी केंद्र सरकार ने मान लिया था।
अपनी राय बतायें