जिन अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ़्लो को अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार मिला है उन्होंने अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार की तीखी आलोचना की थी। दरअसल, अर्थव्यवस्था से जुड़े आँकड़ों के साथ घालमेल करने के आरोपों से भारत की विश्व स्तर पर साख को नुक़सान पहुँचने के ख़तरे का आगाह करते हुए समाज विज्ञान से जुड़े 108 विशेषज्ञों ने मार्च में एक बयान जारी किया था। इन विशेषज्ञों में अभिजीत बनर्जी और एस्थर डफ़्लो भी शामिल थे। उन्होंने पाया था कि जो आँकड़े सरकार के पक्ष में नहीं आ रहे थे उनको विवादास्पद मेथडलॉजी यानी तरीक़े अपनाकर संशोधित किया जा रहा था।
बयान में 108 विशेषज्ञों ने अपील की थी कि सांख्यिकीय संगठनों की विश्वसनीयता को बनाए रखें नहीं तो भारत की राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर ख्याति को धक्का पहुँचेगा। उन्होंने बयान में इस बात पर ज़ोर दिया था कि संस्थाओं की स्वतंत्रता और उनकी विश्वसनीयता को बनाए रखने की ज़रूरत है।
बयान जारी करने वालों में दुनिया भर के कई संस्थाओं और विश्वविद्यालयों के प्रमुख अर्थशास्त्री भी शामिल थे। बयान में कहा गया था कि कुछ दिक्कतें तब आनी शुरू हुईं जब भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार ने जीडीपी की गणना करने के लिए आधार वर्ष को 2011-12 कर दिया। उदाहरण के लिए 2016-17 के लिए जीडीपी विकास दर 8.2 फ़ीसदी रही थी जो कि पहले के अनुमान से 1.1 फ़ीसदी ज़्यादा थी।
इस बयान में यह भी ज़िक्र किया गया था कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय आयोग की वेबसाइट पर अगस्त 2018 में आँकड़ा अपलोड किया गया था कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान क़रीब एक साल तक भारत की अर्थव्यवस्था 10 फ़ीसदी की दर से बढ़ी थी, लेकिन बाद में उसे हटा दिया गया था। इसी आँकड़े को बाद में कम करके फिर से उसे वेबसाइट पर अपलोड किया गया। राष्ट्रीय सांख्यिकीय आयोग के दो सदस्यों के इस्तीफ़े का ज़िक्र भी किया गया था।
बता दें कि किसी समय भारत के आँकड़ों पर पूरी दुनिया में भरोसा किया जाता था और आँकड़े इकट्ठा करने वाले संस्थानों को बहुत सम्मान से देखा जाता था। पिछले चार-पाँच साल में इस मामले में भारत की इज्जत पर बट्टा लगा क्योंकि कई बार आँकड़े ग़लत पाए गए और यह भी कहा गया कि इन आँकड़ों से छेड़छाड़ जानबूझ कर और राजनीतिक कारणों से की गई ताकि सरकार और सत्तारूढ़ दल को दिक्क़त न हो। इस मामले में भारत की प्रतिष्ठा एक बार फिर गिरी जब यह पाया गया कि सकल घरेलू अनुपात के आकलन के लिए दिए गए आँकड़े ग़लत थे।
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनके साथ उनकी पत्नी एस्थर डफ़्लो और माइकेल क्रेमर को भी इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन तीनों को यह पुरस्कार विकास की अर्थव्यवस्था और ग़रीबी के कारणों पर शोध करने के लिए दिया जाएगा।
अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढाई की और उसके बाद वे दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आ गए। यहाँ से उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए किया। इसके पहले अर्थव्यवस्था में नोबेल पुरस्कार पाने वाले अमर्त्य सेन भी प्रेसीडेन्सी कॉलेज के ही थे। पाकिस्तानी वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुस सलाम ने भी कोलकाता के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से भौतिकी में बीए किया था।
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