सरकार ने निजी क्षेत्र को देने के लिए जितने कोरोना टीके सुरक्षित रखे, उसमें से आधा टीके सिर्फ 9 कॉरपोरेट अस्पतालों ने ले लिए, जिनके अस्पताल बड़े शहरों में हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि मझोले व छोटे शहरों के निजी अस्पतालों को कोरोना वैक्सीन नहीं मिले और इस तरह इन शहरों के लोगों को निजी अस्पतालों में टीका नहीं दिया जा सका।