नागरिकता संशोधन विधेयक यानी सीएबी को 625 लेखकों, कलाकारों, फ़िल्मकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संविधान के साथ छलावा क़रार दिया है। उन्होंने इसको वापस लिए जाने की माँग की है। उन्होंने सीएबी को विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के साथ पूरे देश भर के नागरिकों को अप्रत्याशित उत्पीड़न देगा। इससे पहले 1000 से ज़्यादा वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों ने भी ऐसा ही पत्र जारी किया है। बता दें कि सोमवार को लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया जा रहा है। सरकार बहुमत में है तो इसके वहाँ से पास हो जाने की संभावना है, लेकिन राज्य सभा में सरकार को इसे पास कराने में मुश्किल आ सकती है।
नागरिकता संशोधन: 625 कार्यकर्ताओं ने लिखा, संविधान से धोखा बंद करे सरकार
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- 9 Dec, 2019
नागरिकता संशोधन विधेयक को 625 लेखकों, कलाकारों, फ़िल्मकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नागरिक संशोधन बिल को संविधान के साथ छलावा क़रार दिया है।

ताज़ा जारी किए गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में लेखिका नयनतारा सहगल, अशोक वाजपेयी, अरुंधती रॉय, पॉल ज़चारिया, अमिताव घोष, कलाकार टी.एम. कृष्णा, विवान सुंदरम, सुधीर पटवर्धन, फ़िल्मकार अपर्णा सेन, नंदिता दास, आनंद पटवर्धन, बुद्धिजीवि रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, रामचंद्र गुहा, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, व बेज़वादा विल्सन, जस्टिस ए पी शाह (सेवानिवृत्त), योगेंद्र यादव, वजाहत हबीबुल्ला और ऐसे ही 625 लोग शामिल हैं।