हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस बहुमत हासिल करती दिख रही है। 68 सीटों वाले इस राज्य में सरकार बनाने के लिए 35 विधायक चाहिए। कांग्रेस को अपने विधायकों में सेंध लगने का डर है। इसलिए उसने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को शिमला भेजा है। बघेल चुनाव प्रचार के दौरान हिमाचल में पर्यवेक्षक बने थे।
कांग्रेस ने अपने विधायकों को सेंधमारी से बचाने के लिए उन्हें पार्टी शासित राज्य राजस्थान में शिफ्ट करने की योजना बनाई है।
हिमाचल प्रदेश में दोनों दलों के बीच एक-एक विधायक को लेकर जबरदस्त लड़ाई है क्योंकि एक-एक विधायक बेहद अहम है।
प्रियंका ने दी जिम्मेदारी
द ट्रिब्यून के मुताबिक, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हिमाचल प्रदेश के नवनिर्वाचित विधायकों को राजस्थान शिफ्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी है। सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी इस पूरे ऑपरेशन पर नजर रखेंगी।
हिमाचल प्रदेश के प्रभारी राजीव शुक्ला भी हालात पर नजर रख रहे हैं।
कांग्रेस को इस बात का डर है कि बीजेपी उसके विधायकों में सेंध लगा सकती है। ऐसे में पार्टी ने अपनी तैयारियों को चाक-चौबंद कर लिया है।
रिसॉर्ट पॉलिटिक्स का कल्चर
पिछले कुछ सालों में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स शब्द चलन में आया है। इस साल जून में हुए राज्यसभा के चुनाव में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स जमकर हावी रही थी और कांग्रेस से लेकर बीजेपी और शिवसेना से लेकर जेडीएस और एनसीपी ने अपने विधायकों को महंगे रिसॉर्ट में ठहराया था और विधायकों की सुख-सुविधाओं से जुड़े तमाम इंतजाम किए गए थे।
मुख्यमंत्री पद के दावेदार
हिमाचल में कांग्रेस की जीत की संभावनाओं के बीच पार्टी में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की जंग भी तेज हो गई है। पार्टी के भीतर 5 बड़े चेहरे ऐसे हैं जो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं। इनमें प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष व सांसद प्रतिभा सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, पूर्व कैबिनेट मंत्री और छह बार विधायक रहीं आशा कुमारी और 8 बार विधायक रह चुके कौल सिंह ठाकुर का नाम शामिल है।
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