सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधायिका को गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए एक कानून बनाना चाहिए जिन्होंने अपनी ज़िंदगी ख़त्म करने के लिए चिकित्सा उपचार बंद करने का फ़ैसला किया है। चिकित्सा उपचार बंद करने का फ़ैसला यानी इच्छामृत्यु का फ़ैसला। इच्छामृत्यु के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने 'पैसिव यूथेनेशिया' शब्द का इस्तेमाल किया था। पाँच साल पहले 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इच्छामृत्यु को मंजूरी दी कि व्यक्ति को गरिमा के साथ मरने का अधिकार है। तब 'लिविंग विल' यानी इच्छामृत्यु के लिए विरासत लिखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए थे। अब इसी में बदलाव की मांग की जा रही है।