देश में आज 700 से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गुरुवार को अपडेट किए गए आँकड़ों के अनुसार चार महीने के अंतराल के बाद 24 घंटे की अवधि में कुल 754 नए कोरोनोवायरस मामले सामने आए। इसके साथ ही सक्रिय मामले 4,623 हो गए। इससे पहले देश में पिछले साल 12 नवंबर को 734 मामले दर्ज किए गए थे। कई राज्यों और शहरों में ये मामले बढ़े हैं। दिल्ली में बुधवार को 42 मामले आए थे जबकि उससे एक दिन पहले मंगलवार को 26 मामले ही दर्ज किए गए थे। मुंबई में भी मंगलवार को 36 मामले आए थे जो कि एक दिन पहले के मुक़ाबले ये आँकड़े दोगुने थे। पिछले एक पखवाड़े में शहर में संक्रमण के मामलों में 200 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। तो सवाल है कि क्या संक्रमण के मामले फिर से तेज़ी से बढ़ रहे हैं और क्या यह बड़े संकट का संकेत है?
इन सवालों के जवाब पाने से पहले यह जान लें कि मौजूदा स्थिति क्या है। कोरोना संक्रमण के ये मामले तब आ रहे हैं जब हाल में एच3एन2 व दूसरे फ्लू या मौसमी बीमारियों के मामले ज़्यादा आ रहे हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक़ फ्लू के मौसम के कारण कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इन मौसमी बीमारियों की वजह से लोग कोविड की भी जांच करा रहे हैं और इस वजह से संक्रमण के मामले बढ़े हुए दिख रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कोविड संक्रमणों के लिए दिल्ली के नोडल अस्पताल, लोक नायक अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, 'फ़्लू और कोविड दोनों में समान लक्षण हैं जो कोविड के लिए किए गए परीक्षणों में दिखाई दे रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सुरनजीत चटर्जी ने कहा कि कोविड यहीं रहने वाला है, लेकिन यह कम संख्या में रहेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कोरोना गायब हो जाएगा इसलिए सावधान रहने की ज़रूरत है।
उन्होंने पिछले 10 दिनों में कोविड मामलों में वृद्धि के लिए पिछले तीन हफ्तों में इन्फ्लूएंजा में बढ़ोतरी के बाद अधिक जाँच को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पहले लोग ज़्यादा जाँच नहीं करा रहे थे, लेकिन अब करा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार महामारी विज्ञानी डॉ. जयप्रकाश मुलियिल कहते हैं, 'सौभाग्य की बात यह है कि गंभीरता कम है। नए स्ट्रेन लगातार बन रहे हैं और वायरस कम गंभीर हो रहा है।'
बता दें कि हाल में देश में एच3एन2 वायरस का संक्रमण तेजी से फैला है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने हाल ही में कहा है कि इन्फ्लूएंजा-ए का उपप्रकार एच3एन2 साँस से जुड़ी बीमारी है।
आम तौर पर भारत में मौसमी इन्फ्लूएंजा का असर दो मौसम में चरम पर होता है। एक तो जनवरी और मार्च के बीच, और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में। कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मौसमी इन्फ्लूएंजा से उत्पन्न होने वाले मामलों में मार्च के अंत से गिरावट आने की उम्मीद है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पाया है कि अन्य इन्फ्लूएंजा की तुलना में एच3एन2 के अधिक मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं। इसने कहा है कि एच3एन2 के लगभग 10 प्रतिशत रोगियों को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और सात प्रतिशत को आईसीयू की। इस वायरस से कम से कम दो मरीजों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
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