दुनिया के कई देशों में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच भारत में भी इसको लेकर चिंताएँ हैं। लेकिन इन चिंताओं के बीच ही एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना वैक्सीन की दूसरी बूस्टर खुराक की ज़रूरत नहीं है। तो क्या कोरोना संक्रमण के भारत में बढ़ने के आसार कम हैं? आख़िर कोरोना वैक्सीन की दूसरी बूस्टर खुराक पर जोर क्यों नहीं दिया जा रहा है? क्या इस वजह से कि सभी भारतीयों को पहली बूस्टर खुराक नहीं मिल पाई है?
एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा है कि कोरोना के नए वैरिएंट से निपटने के लिए किसी दूसरी कोविड-19 बूस्टर खुराक की ज़रूरत नहीं है। रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पहले देश में हमें बूस्टर ड्राइव को पूरा करना होगा।
ऐसा तब है जब चीन सहित कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामले बेतहाशा तेज़ी से बढ़े हैं। चीन में कोरोना तेजी से फैलने के लिए जिस बीएफ-7 वैरिएंट को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है उसके मामले भारत में भी मिले हैं।
RT-PCR test has been made mandatory for flyers coming from China, Hong Kong, Japan, South Korea, Singapore and Thailand from 1st January 2023. They will have to upload their reports on the Air Suvidha portal before travel.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) December 29, 2022
यह फ़ैसला इस वजह से लिया गया कि चीन में जो मौजूदा लहर आई है उसके लिए ओमिक्रॉन के बीएफ़ 7 वैरिएंट को ज़िम्मेदार माना जा रहा है। बीएफ़.7 बहुत ज़्यादा संक्रामक है, इसका इनक्यूबेशन पीरिएड कम है और इसमें उन लोगों को भी संक्रमित करने की क्षमता ज़्यादा होती है, जिन्हें टीका लगा हुआ हो। बीएफ़ 7 सब-वैरिएंट में मूल वैरिएंट की तुलना में 4.4 गुना अधिक प्रतिरोध क्षमता है। इसका मतलब है कि टीका लगाए व्यक्ति या संक्रमित व्यक्ति के एंटीबॉडी से बीएफ़ 7 को ख़त्म करने की संभावना कम रहती है। अब तक बीएफ़ 7 के कई मामले भारत में मिल चुके हैं।
बहरहाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 134 नए मामले दर्ज किए गए हैं। भारत में ऐक्टिव मामलों की संख्या वर्तमान में 2,582 है।
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