दुनिया की कई प्रसिद्ध संस्थाओं के संयुक्त शोध में पहली बार पता चला कि अब तक ज्ञात अन्य वायरसों से अलग कोरोना वायरस की असली शक्ति है मनुष्य के रक्त के आरबीसी (रेड ब्लड कोर्प्सिल्स) में पाये जाने वाले प्राकृतिक मोलिक्यूल—बिलीवरडीन और बिलीरुबिन- जो शरीर में बने एंटीबाडीज को भी कोरोना के स्पाइक प्रोटीन के साथ बाइंड करने से रोक देते हैं और स्वयं इस प्रोटीन के साथ जुड़ कर इसे सुरक्षित कर देते हैं। साइंस एडवांसेज पत्रिका में छपे शोध में पाया गया कि इस प्रक्रिया में क़रीब 35 -50 प्रतिशत एंटीबाडीज निष्क्रिय हो जाते हैं। मतलब यह कि शरीर में स्वतः या वैक्सीन के ज़रिये बनने वाले एंटीबाडीज का वैसा असर नहीं होता जैसा अन्य बीमारियों के टीकों का होता है।
कोरोना वायरस का वह राज जिसका अब पता चला!
- स्वास्थ्य
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- 1 May, 2021

चूँकि नए वैरिएंट में एंटीबाडीज को धोखा देने की तरह की शक्ति पायी गयी है लिहाज़ा टीका चुनते समय यह देखना होगा कि क्या इसमें टी-सेल रेस्पोंस पैदा करने की क्षमता है और है तो कितनी? साथ ही क्या यह टीका बदलते म्यूटेंट्स, स्ट्रेन और वैरिएंट्स पर भी प्रभावी है। इसके अलावा दरअसल मानव शरीर में प्रतिरोधी क्षमता एंटीबाडीज के अलावा टी-सेल की प्रतिक्रिया से भी होती है।
फ्रांसीसी किर्क इंस्टीट्यूट ने लन्दन की शिक्षण संस्थाओं—इम्पीरियल कॉलेज, किंग्स कॉलेज और यूनिवर्सिटी कॉलेज- के साथ मिलकर क्रायो-एम और एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी का प्रयोग कर वायरस, एंटीबाडीज और बिलीवरडिन के बीच अंतर्क्रियाओं का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि बिलीवरडिन और बिलीरुबिन कोरोना के प्रोटीन स्पाइक को कवर कर इसे स्थिर कर देता है और एंटीबाडीज के लिए इसके साथ बंधने की गुंजाइश काफी कम हो जाती है। यह बिलीवरडिन स्पाइक प्रोटीन के एन-टर्मिनल डोमेन के साथ बांध जाता है और इसे सुरक्षित कर देता है।