गुजरात में छात्रों को अपनी हाज़िरी दर्ज़ कराने के लिए अब से ‘येस सर/मैम’ या ‘प्रेज़ंट सर/मैम’ कहने के बजाय ‘जय हिंद’ या ‘जय भारत’ कहना होगा। फ़ैसला राज्य के शिक्षा मंत्री का है और उनका मानना है कि इससे बच्चों में राष्ट्र के प्रति प्रेम जागृत होगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने क़रीब दो साल पहले देश भर के सिनेमा हॉल में ‘जन-गण-मन’ का बजना अनिवार्य कर दिया था। हालाँकि बाद में कोर्ट ने इसकी अनिवार्यता हटा दी थी। लेकिन उद्देश्य उसका भी यही था कि लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत हो।
क्या ‘जय हिंद’ कहने के बाद वे लड़कियों को भी छेड़ेंगे?
- गुजरात
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- नीरेंद्र नागर
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- 2 Jan, 2019

हाज़िरी के लिए ‘जय हिंद’ या ‘जय भारत’ कहने का कितना असर होगा? क्या ‘जय हिंद’ कहने से छात्रों में देशभक्ति का भाव भी जागृत होगा? उनके लिए ’जय हिंद’ भी ‘येस सर’ का ही दूसरा रूप तो नहीं होगा? जब किसी छात्र को अपने अनुपस्थित दोस्त के लिए फ़र्ज़ी हाज़िरी लगानी होगी, तब भी वह ‘जय हिंद’ ही कहेगा? वह ’जय हिंद’ कहेगा और परीक्षा में नक़ल भी करेगा?
सुप्रीम कोर्ट का आदेश हो या गुजरात के शिक्षा मंत्री का, दोनों आदेशों के मूल में यही है कि देश के छात्रों/लोगों में राष्ट्र के प्रति प्रेम नहीं है या कम है और इसे जगाना या बढ़ाना ज़रूरी है। मुझे नहीं मालूम (आपको मालूम हो तो बताएँ) कि किसी व्यक्ति के मन में राष्ट्र यानी भारत के प्रति प्रेम है या नहीं, इसका पता लगाने का तरीक़ा क्या है। क्या 15 अगस्त को घर में या कार में प्लास्टिक का तिरंगा लगाना राष्ट्रप्रेम का सबूत है?