गुजरात के नये मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल के नाम की घोषणा के बीच उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल का दर्द छलका है! अपनी नाराज़गी की रिपोर्टों पर सोमवार को भी जब नितिन पत्रकारों के सामने सफ़ाई देने आए तब भी वह दर्द दिखा। वह जब कह रहे थे कि कोई नाराज़गी नहीं है तो उनकी आँखों में आंसू थे और आवाज़ में वह कसक नहीं थी। उन्होंने सोमवार को भी वह बात दोहराई जो उन्होंने एक दिन पहले कहा था कि जब तक जनता पसंद करेगी तब तक किसी नेता को हटाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने कहा, 'जब तक लोगों के हृदय में किसी व्यक्ति का स्थान हो, चाहे वो धार्मिक व्यक्ति हो, वो कोई संत हों- स्वामी हों, तो फिर उनका उनके भक्तों के हृदय में स्थान रहता है, तब तक वह बड़ा रहता है। इसी तरह कोई कंपनी का ब्रांड हो, जब तक प्रेस्टिज रहती है तब तक वो काम चलता है। इसी तरह पॉलिटिक्स में भी जो कोई भी छोटा से छोटा कार्यकर्ता हो या बड़ा से बड़ा नेता हो, प्रजा के हृदय में जिसका स्थान है...., वो मैंने बोला है।'
मुख्यमंत्री पद के नये नाम की घोषणा से पहले उस पद के दावेदारों में नितिन पटेल का नाम भी लिया जा रहा था। वह इससे पहले भी उस पद की दौड़ में रहे थे। उनका यह दर्द किस तरह का है, यह इससे समझा जा सकता है कि भूपेंद्र पटेल के नाम की घोषणा के कुछ देर बाद रविवार को एक कार्यक्रम में नितिन ने कहा कि 'मैं अकेला नहीं, जिसकी बस छूटी है'। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि वह लोगों के दिल में रहते हैं और वहाँ से उन्हें कोई निकाल नहीं सकता है।
नितिन पटेल रविवार को मुख्यमंत्री के तौर पर भूपेंद्र पटेल के नाम की घोषणा के बाद मेहसाणा में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने भूपेंद्र पटेल को बधाई दी और उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया कि मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम पर विचार किया जा रहा था। इसके साथ ही उन्होंने कई बातें कहीं। नितिन ने हल्के-फुल्के में अंदाज़ में कहा, 'और भी कई सारे ऐसे हैं जिनकी बस छूट गई है। मैं अकेला नहीं हूँ। इसलिए इसे उस नज़र से न देखें। पार्टी फ़ैसले लेती है। लोग ग़लत कयास लगाते हैं।'
उन्होंने यह भी कहा कि ‘मैं रास्ते में मोबाइल देख रहा था। मैंने मीडिया में ख़बरें देखीं कि क्या मुझे अब बाहर कर दिया जाएगा। मैं कहना चाहता हूँ कि जब तक मैं जनता, कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के दिलों में हूँ, मुझे कोई नहीं हटा सकता। मैंने लंबे समय तक विपक्ष में काम किया है और 30 साल तक पार्टी के लिए काम किया है।'
वह उन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिनमें कहा गया था कि रविवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक के बाद नितिन पटेल वहाँ से निकल गए थे। भूपेंद्र पटेल जब विजय रूपाणी के साथ शाम को सरकार गठन का दावा करने के लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिलने गए थे, तब भी नितिन पटेल वहाँ नहीं थे।
सवाल है कि नितिन पटेल की नाराज़गी की ख़बरें क्या यूँ ही आ रही थीं? मीडिया रिपोर्टों में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में उनका नाम क्या यूँ ही आ रहा था? वैसे, यह पहली बार नहीं है जब वह सीएम पद की रेस में थे।
2016 में जब आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तब भी उनका नाम इस पद के लिए चल रहा था। लेकिन तब अमित शाह की टीम ने विजय रूपाणी के नाम पर मुहर लगा दी थी।
2017 में जब रूपाणी को मुख्यमंत्री के रूप में फिर से चुना गया तो नितिन पटेल ने विभागों के आवंटन पर खुलकर नाराज़गी जताई थी और उन्हें आवंटित विभागों का प्रभार लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप और उन्हें वित्त विभाग आवंटित करने के बाद ही कार्यभार संभाला। रविवार को भी कयास लगाए जा रहे थे कि नितिन पटेल अपने सीएम नहीं चुने जाने से नाखुश हैं।
नए मंत्रिमंडल में उनकी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि मुख्यमंत्री राष्ट्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में नए मंत्रिमंडल का फ़ैसला करेंगे।'
हालाँकि भाषण में उनका दर्द बयां हो रहा था लेकिन उन्होंने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया कि वह नाराज़ हैं। नितिन ने कहा, 'नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल हमारे दोस्त हैं, वह हमारे बीच से हैं और वह हम सभी की तरह एक कार्यकर्ता हैं। हमने पहले एक साथ काम किया है और उनका नाम पार्टी द्वारा सीएम के रूप में चुना गया है। वह मेरे दोस्त हैं, मैंने उनके कार्यालय का उद्घाटन किया है, कोई हमारे बारे में कुछ भी सोचे। मीडिया कुछ भी अनुमान लगा सकता है। मैंने उनसे (मीडिया) सुबह कहा कि आपका काम अटकलें लगाना है, लेकिन फ़ैसला पार्टी करेगी।'
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