loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार

जीत

चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला

जीत

हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार की आलोचना करने वाले जस्टिस वोरा को बेंच से हटाया

अहमदाबाद सिविल अस्पताल की दुर्गति और कोरोना इलाज में नाकामी को लेकर गुजरात सरकार की आलोचना करने वाले खंडपीठ को बदल दिया गया है। 
गुजरात हाई कोर्ट ने इस तरह के मामलों की सुनवाई के लिए नया खंडपीठ बनाया है और उसमें जस्टिस इलेश वोरा को जगह नहीं दी गई है। 
गुजरात से और खबरें

नई बेंच का गठन

गुरुवार को नई बेंच का गठन किया गया, जिसकी अध्यक्षता चीफ़ जस्टिस विक्रम नाथ कर रहे हैं। इसमें जस्टिस जे. बी. पारडीवाला भी हैं। पर इसमें जस्टिस इलेश वोरा का नाम नहीं है। 
जिस खंडपीठ ने गुजरात सरकार की आलोचना की थी, उसमें जस्टिस पारडीवाला और जस्टिस वोरा थे।
इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए 29 मई को जो सुनवाई होनी थी, उसके लिए पहले से बेंच बनाई गई थी। उस बेंच में ये दोनों जज थे। 
Gujarat High Court removes justice Vora - Satya Hindi
जस्टिस पारडीवाला और जस्टिस वोरा के खंडपीठ ने 22 मई को दिए अपने एक आदेश में अहमदाबाद सिविल अस्पताल की स्थिति और कोरोना रोगियों के इलाज पर गंभीर टिप्पणी की थी। उन्होंने इसे 'काल कोठरी से भी बदतर' क़रार दिया था।
अदालत ने बीजेपी की विजय रुपाणी सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि वह कोरोना पर ‘नकली तरीके’ से नियंत्रण पाना चाहती है। अदालत ने राज्य सरकार को यह फटकार तब लगाई है जब इस सिविल अस्पताल में 377 कोरोना रोगियों की मौत हो चुकी है। यह राज्य में हुई कोरोना मौतों का लगभग 45 प्रतिशत है। 
अदालत ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना ‘डूबते हुए टाइटनिक जहाज़’ से करते हुए कहा था, ‘यह बहुत ही परेशान करने वाला और दुखद है कि आज की स्थिति में अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की स्थिति बहुत ही दयनीय है, अस्पताल रोग के इलाज के लिए होता है, पर ऐसा लगता है कि आज की तारीख़ में यह काल कोठरी जैसी है, शायद उससे भी बदतर है।’
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

गुजरात से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें