गुजरात में अगले साल दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव में पूरा डेढ़ साल बाक़ी है। लेकिन बीजेपी ने चुनाव की तैयारियाँ ज़ोर-शोर से शुरू कर दी हैं। चुनाव को लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है। दिल्ली से भी बड़े नेताओं के दौरों का सिलसिला लगातार बना हुआ है। बीजेपी की चुनाव की तैयारियाँ और हाल ही में लिए गए कुछ राजनीतिक फ़ैसले इस तरफ़ इशारा कर रहे हैं कि शायद बीजेपी को अपने इस मज़बूत क़िले के दरकने का ख़तरा पैदा हो गया है?
गुजरात: क्या दरक रहा है बीजेपी का मज़बूत क़िला?
- गुजरात
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- 2 Jul, 2021

गुजरात में आम आदमी पार्टी ने जिस तरह स्थानीय निकाय के चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, उससे भी बीजेपी नेताओं के पेशानी पर बल पड़ गए हैं। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी के भी पूरे दमख़म के साथ विधानसभा चुनाव में उतरने की चर्चा है। इससे बीजेपी नेताओं के चेहरे खिल सकते हैं।
गुजरात के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर बीजेपी ज़रूरत से ज़्यादा ही एहतियात बरत रही है। कुछ ज़्यादा ही सजग और सक्रिय नज़र आ रही है। उत्तर प्रदेश से भी ज़्यादा। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने अचानक अपना जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है। सोमवार और मंगलवार को उन्होंने दोपहर से शाम तक आम लोगों से मुलाक़ात करके न सिर्फ़ उनकी समस्याएँ सुनीं बल्कि उनसे अपनी सरकार के बारे में फीडबैक भी लिया। हालाँकि मुख्यमंत्री हर महीने के आख़िर में 'मोकला मने' (यानी खुले दिल से) कार्यक्रम के तहत लोगों से मिलकर उनकी समस्या सुनते हैं। लेकिन यह 'जनसंवाद' लोगों से सरकार के कामकाज के बारे में फ़ीडबैक लेने के लिए किया गया।