बिलकीस बानो के बलात्कारियों को रिहा करने के फ़ैसले में शामिल रहे सीके राउल को गोधरा से बीजेपी का उम्मीदवार बनाया गया है। ये वही राउल हैं जिन्होंने कहा था कि जेल में रहने के दौरान दोषियों का आचरण अच्छा था। उन्होंने तब एक साक्षात्कार में कहा था, '... ब्राह्मण लोग थे और वैसे भी ब्राह्मण के जो कुछ है उसके संस्कार भी बड़े अच्छे थे।'
गुजरात के पूर्व मंत्री सीके राउलजी यानी चंद्रसिंह राउलजी गोधरा से बीजेपी के उम्मीदवार बनाए गए हैं। वह इस निर्वाचन क्षेत्र से छह बार विधायक रहे हैं। राउलजी गुजरात सरकार की उस समिति का हिस्सा थे, जिसने सर्वसम्मति से 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकीस बानो मामले में दोषियों को रिहा करने का फ़ैसला लिया।
बिलकीस बानो गैंगरेप में सभी 11 आजीवन कारावास के दोषी गुजरात सरकार की छूट नीति के तहत जेल से बाहर आ गए हैं। उन्हें उनकी रिहाई के बाद माला पहनाई गई थी और मिठाई खिलाई गई थी। इस रिहाई पर पंचमहल के कलेक्टर सुजल मायात्रा ने कहा, कुछ महीने पहले गठित एक समिति ने मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा करने के पक्ष में आमराय से फैसला लिया। राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई थी और 14 अगस्त को हमें उनकी रिहाई के आदेश मिले।'
सीके राउलजी उन दो बीजेपी नेताओं में से एक थे, जो गुजरात सरकार के पैनल का हिस्सा थे, जिसने सर्वसम्मति से बलात्कारियों को रिहा करने का फैसला किया था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि सीके राउलजी और सुमन चौहान के साथ एक अन्य सदस्य मुरली मूलचंदानी रिहाई की अपील की समीक्षा करने वाले पैनल में थे जो गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह थे!
बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान जब बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था तब वह 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इनमें उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी। उसका सिर पत्थरों से कुचला गया था। सात अन्य रिश्तेदारों को लापता घोषित कर दिया गया था।
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