भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी ने एलान किया है कि वह गुजरात विधानसभा चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरेगी। गुजरात में जोर-शोर से चुनाव लड़ने जा रहे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए यह एक बड़ा झटका है। क्योंकि इस साल मई में आम आदमी पार्टी और बीटीपी का चुनावी गठबंधन हुआ था।
बताना होगा कि केजरीवाल गुजरात के विधानसभा चुनाव के लिए जोर-शोर से तैयारियां कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में उन्होंने, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुजरात में कई रोड शो व रैलियां की हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बीटीपी की ओर से अकेले चुनाव लड़ने का एलान इसलिए किया गया है क्योंकि बीटीपी के नेताओं को ऐसा लग रहा था कि आम आदमी पार्टी उन्हें दरकिनार कर रही है और बीटीपी को गठबंधन सहयोगी नहीं माना जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के चुनाव पोस्टरों में बीटीपी के नेताओं की तस्वीरों को भी जगह नहीं मिल रही थी।
बीटीपी के एक नेता ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बीटीपी की नाराजगी का एक बड़ा कारण यह था कि आम आदमी पार्टी ने राज्य में अपने उम्मीदवार उतारने से पहले उनसे कोई चर्चा नहीं की। सूत्रों के मुताबिक, जब दोनों दलों का गठबंधन हुआ था तब यह बात तय हुई थी कि बीटीपी आदिवासियों के लिए आरक्षित और ग्रामीण सीटों पर गठबंधन का नेतृत्व करेगी और आम आदमी पार्टी उसकी मदद भी करेगी।
लेकिन अब बीटीपी के नेताओं को लगता है कि उन्हें गठबंधन के साथी के तौर पर अहमियत नहीं दी गई।
बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश वसावा ने कहा कि आम आदमी पार्टी के अलावा भी कई राजनीतिक दल उनसे गठबंधन करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम 2017 के अलावा कभी भी गठबंधन कर चुनाव नहीं लड़े हैं और बीटीपी के संस्थापक छोटू भाई वसावा गुजरात में एक जाने पहचाने चेहरे हैं।
जबकि आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता योगेश जडवानी ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि आम आदमी पार्टी ने कभी भी बीटीपी के साथ गठबंधन का एलान नहीं किया था और हमने सिर्फ आदिवासियों के मुद्दों पर ही समर्थन दिया था।
16-17 फीसद आदिवासी आबादी
बता दें कि गुजरात में आदिवासी समुदाय की आबादी 16 से 17 फीसद है और विधानसभा में 27 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीटीपी को 2 सीटों पर जीत मिली थी।
कांग्रेस कर सकती है गठबंधन
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस भी बीटीपी के साथ गठबंधन की योजना बना रही है और इसे लेकर बीटीपी के नेताओं के संपर्क में है। बीटीपी का आदिवासी बहुल इलाकों में अच्छा प्रभाव है।
2024 पर है नजर
अरविंद केजरीवाल पंजाब के चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद बेहद उत्साहित हैं और अब वह एलान कर चुके हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी। हालांकि आम आदमी पार्टी ने गोवा और उत्तराखंड में भी बहुत जोर शोर से चुनाव लड़ा लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली।
उत्तराखंड में तो वह पूरी तरह फेल साबित हुई जबकि गोवा में उसे 2 सीटों पर जीत मिली। केजरीवाल ने गुजरात के चुनाव में पूरी ताकत झोंकी हुई है लेकिन देखना होगा कि बीटीपी के अलग होने के बाद केजरीवाल कितनी मजबूती के साथ गुजरात का चुनाव लड़ पाएंगे?
अपनी राय बतायें