गुजरात में विधानसभा चुनाव में व्यस्त अमित शाह का अब कट्टरपंथ पर एक रोचक बयान आया है। उनका कहना है कि कट्टरपंथ एक संप्रदाय तक ही सीमित नहीं है। तो क्या उनके कहने का मतलब है कि कट्टरपंथ हिंदू, मुसलिम जैसे सभी धर्मों में है? हालाँकि, उन्होंने किसी संप्रदाय का नाम तो नहीं लिया है, लेकिन उनके बयान का मतलब समझना क्या इतना मुश्किल है?
अमित शाह का यह बयान उस संदर्भ में आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि बीजेपी राज्य ईकाई की ओर से कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ स्थापित करने की घोषणा एक अच्छी पहल है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि इस पर केंद्र और अन्य राज्य विचार कर सकते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने ये बातें पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में कहीं। कट्टरवाद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसका संप्रदाय से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा है कि देश विरोधी तत्वों से कड़ाई से निपटने के लिए तैयारी है।
गृहमंत्री से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजित डोभाल ने मंगलवार को कहा था कि इसलाम पूरी तरह कट्टरपंथ और आतंकवाद के ख़िलाफ़ है क्योंकि इसलाम का मतलब शांति और कल्याण है। एनएसए डोभाल नई दिल्ली में भारत और इंडोनेशिया के बीच आपसी शांति और सामाजिक सद्भाव की संस्कृति को बढ़ावा देने में उलेमाओं की भूमिका पर आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि सीमा पार से होने वाला आतंकवाद और आईएसआईएस के द्वारा प्रेरित आतंकवाद मानवता के लिए एक बड़ा ख़तरा है।
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया के मंत्री मोहम्मद महफूद एमडी भी दिल्ली आए। उन्हें एनएसए डोभाल ने ही कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण भेजा था।
बहरहाल, अमित शाह ने गुजरात चुनाव को लेकर पीटीआई के साथ इंटरव्यू में कहा, 'गुजरात में बीजेपी अभूतपूर्व जीत दर्ज करेगी। लोगों को हमारी पार्टी और हमारे नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है।' कांग्रेस से मिल रही चुनौती पर शाह ने कहा, ‘कांग्रेस अब भी मुख्य विपक्षी पार्टी है, लेकिन वह राष्ट्रीय स्तर पर संकट के दौर से गुजर रही है और इसका असर गुजरात में भी दिख रहा है।'
गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी की दस्तक के सवाल पर गृहमंत्री ने कहा, 'हर पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन यह लोगों पर निर्भर करता है कि वे पार्टी को स्वीकार करते हैं या नहीं।'
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