पिछले हफ़्ते की भारत-पाक मुठभेड़ से हमारे पत्रकार बंधुओं को बड़ी नसीहत लेने की ज़रूरत है। ख़ास तौर से हमारे वायु-सेना प्रमुख एयर मार्शल बी.एस. धनोआ के बयान के बाद! धनोआ ने कोयम्बटूर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि 26 फ़रवरी को पाकिस्तान में घुसकर जब हमारे जहाजों ने बालाकोट पर बम बरसाए तो ‘हमें पता नहीं कि कितने लोग मारे गए। हमारा काम निशाने को ठोक देना है, लाशें गिनना नहीं हैं।’
भारत-पाक मुठभेड़ से नसीहत लें गुमराह पत्रकार
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- 6 Mar, 2019

ज़िम्मेदारी हमारे नेताओं की उतनी नहीं है, जितनी पत्रकारों की है। पत्रकारों को कोई भी ख़बर स्पष्ट प्रमाण के बिना कतई नहीं चलानी चाहिए। युद्धों या दंगों या राष्ट्रीय विपत्तियों के समय बे-सिर-पैर की ख़बरें बहुत भयानक सिद्ध होती हैं। वे आग में घी का काम करती हैं।