भाजपा की राष्ट्रीय समिति के अधिवेशन पर मायावती और अखिलेश का गठबंधन काफ़ी भारी पड़ गया। गठबंधन की ख़बर अख़बारों और टीवी चैनलों पर ख़ास ख़बर बनी और उसे सर्वत्र पहला स्थान मिला जबकि मोदी और अमित शाह के भाषणों को दूसरा और छोटा स्थान मिला। भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं का तो कहीं ज़िक्र तक नहीं है। ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि यह अकेला प्रादेशिक गठबंधन राष्ट्रीय राजनीति को नया चेहरा दे सकता है। मोदी के 80 मिनिट के भाषण में भी इसी गठबंधन का सबसे ज्यादा मज़ाक उड़ाया गया।