दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल बढ़ाने के केंद्र के प्रस्ताव को बुधवार को अनुमति दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि केंद्र सरकार के पास दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की नियुक्ति करने का अधिकार है। इन अधिकारों में सेवानिवृत होने वाले अधिकारी का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार भी है।
दिल्ली के मुख्य सचिव को लेकर यह फैसला ऐसे समय में आया है जब मुख्य सचिव सेवानिवृत होने वाले थे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उनका कार्यकाल बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। अब उन्हें 6 माह का अवधि विस्तार मिलने वाला है।
लॉ से जुड़ी वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मुख्य सचिव के रूप में नरेश कुमार का कार्यकाल बढ़ाने से रोकने की दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दी।
दिल्ली सरकार की ओर से केंद्र सरकार द्वारा एक तरफा तौर पर मुख्य सचिव की नियुक्ति करने या उसके परामर्श के बिना मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज करने के लिए पीठ ने संसद द्वारा पारित हालिया सेवा कानून (दिल्ली एनसीटी सरकार (संशोधन) अधिनियम 2023) का हवाला दिया है। हालांकि एक्ट की वैधता से संबंधित मुद्दे को संविधान पीठ के पास भेज दिया गया है, लेकिन एक्ट के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई गई है।
कानून के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाया कि छह महीने के विस्तार को किसी भी कानून के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता है। अदालत ने केंद्र की इस दलील को स्वीकार कर लिया है कि उसे दिल्ली सरकार में नौकरशाहों के तबादले और नियुक्ति का अधिकार है क्योंकि उसका अध्यादेश अभी तक वापस नहीं लिया गया है।
केंद्र ने मंगलवार को मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया था। हालांकि इस सुनवाई के दौरान अदालत यह जानना चाहती थी कि केंद्र "केवल एक व्यक्ति तक ही सीमित" क्यों है।
कोर्ट ने सवाल उठाया कि "आप नियुक्ति करना चाहते हैं, करें लेकिन क्या आपके पास कोई और अधिकारी नहीं है जो मुख्य सचिव बन सके। क्या आप फंस गए हैं?
इससे पहले पिछले हफ्ते दोनों पक्षों के बीच तकरार के बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना को बैठकर केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले उम्मीदवारों की एक शॉर्टलिस्ट पर सौहार्दपूर्ण ढंग से चर्चा करने का निर्देश दिया था।
टकराव का यह है नया बिंदु
एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है कि यह दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और केंद्र की सत्ता में मौजूद भाजपा के बीच नवीनतम टकराव का बिंदु है। दोनों के बीच नरेश कुमार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी टकराव हुआ है, जिनके बेटे का नाम 9 नवंबर को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट में कथित रियल एस्टेट घोटाले से जुड़ा था।
हालांकि, पिछले हफ्ते दिल्ली उच्च न्यायालय ने नरेश कुमार को राहत देते हुए एक समाचार वेबसाइट को उस लेख को हटाने का निर्देश दिया, जिसे वर्तमान दिल्ली मुख्य सचिव के लिए अपमानजनक बताया गया था।
एनडीटीवी की रिपोर्ट में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले बुधवार को दिल्ली की सतर्कता मंत्री आतिशी ने सीएम अरविंद केजरीवाल को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें उन्होंने अपनी सिफारिश दोहराई कि मुख्य सचिव नरेश कुमार को निलंबित कर दिया जाए।
सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में उपराज्यपाल नरेश सक्सेना से इस मामले में पहले की (प्रारंभिक) रिपोर्ट पर विचार करने से इनकार करने के मामले में अपनी स्थिति की समीक्षा करने का भी आग्रह किया गया है।
मुख्य सचिव नरेश कुमार ने अपने उपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ"निहित स्वार्थ" वाले लोगों ने उनके खिलाफ साजिश की थी।
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