दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार क्यों हुई? क्या केजरीवाल सरकार के काम से लोग संतुष्ट नहीं थे? क्या इस चुनाव में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा था? गरीबों और महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं का क्या मतदाताओं पर कुछ असर नहीं पड़ा?
दिल्ली चुनाव नतीजे ऐसे कैसे रहे, इसको लेकर लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे में उन वजहों को ढूंढने की कोशिश की गई है। सर्वे में दिल्ली के मतदाताओं से उनके मुद्दे, नाराज़गी की वजहें, वोट देने का आधार जैसे कई तथ्यों के आधार पर राय जानने की कोशिश की गई है। इस सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि हालाँकि आप ने पहले अपनी कल्याणकारी नीतियों के ज़रिए जनता का भरोसा जीता है, लेकिन इस बार यह नाकाफ़ी साबित हुआ। सर्वे रिपोर्ट में ऐसा लगता है कि शासन, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और बुनियादी ढाँचे की चिंताएँ कल्याणकारी लाभों से ज़्यादा भारी पड़ गई हैं।
दिल्ली में चुनावों से पहले आम धारणा थी कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सत्ता में आने के बाद अपने 10 साल के शासन के बाद स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। हालाँकि, इस बार पार्टी को स्वच्छता, पानी की उपलब्धता और समग्र विकास जैसे मुद्दों पर बढ़ते असंतोष का सामना करना पड़ा।
लोकनीति-सीएसडीएस सर्वेक्षण की रिपोर्टों को द इंडियन एक्सप्रेस ने प्रकाशित किया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आप के प्रदर्शन से पता चलता है कि मतदाताओं का मोहभंग हो गया। रिपोर्ट के अनुसार पांच में से दो मतदाताओं ने यानी 42% ने कहा कि वे केंद्र सरकार के काम से पूरी तरह संतुष्ट हैं। एक चौथाई से कुछ अधिक यानी क़रीब 28% ने आप के प्रदर्शन से पूरी तरह संतुष्ट होने की बात कही।
2020 के विधानसभा चुनावों में तीन-चौथाई यानी क़रीब 76% लोग आप सरकार से संतुष्ट थे, जबकि इस बार इसमें बड़ी गिरावट आई।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि आप को इसके काम से पूरी तरह संतुष्ट मतदाताओं का वोट पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। आप के काम से खुश लोग भी बीजेपी के पाले में चले गए।
सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार आम आदमी के काम से पूरी तरह संतुष्ट 13 फ़ीसदी लोगों ने बीजेपी को वोट देना पसंद किया जबकि, 83 फीसदी आप को और 3 फीसदी कांग्रेस को। आप के काम से कुछ हद तक संतुष्ट 39 फीसदी ने बीजेपी, 50 फीसदी ने आप को और 8 फीसदी ने कांग्रेस को वोट दिया।
आप सरकार के काम से कुछ हद तक असंतुष्ट 63 फीसदी ने बीजेपी को, 24 फीसदी ने आप को और 11 फीसदी ने कांग्रेस को पसंद किया। पूरी तरह असंतुष्ट 83 फीसदी लोगों ने बीजेपी, 7 फीसदी ने आप को और 6 फीसदी ने कांग्रेस को पसंद किया।
आप के किस काम से कितना संतुष्ट थे मतदाता?
पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक अवसंरचना के मामले में मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली। पांच में से चार से अधिक मतदाताओं यानी क़रीब 83% ने महसूस किया कि बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है, और पांच में से तीन से अधिक यानी 64% ने कहा कि सरकारी स्कूलों में सुधार हुआ है। इसके अलावा आधे से अधिक मतदाताओं ने सरकारी अस्पतालों में सुधार का ज़िक्र किया।
आधे मतदाताओं ने सीवर नालियों की बिगड़ती स्थिति के मुद्दे को उठाया, जबकि करीब आधे यानी 47% ने बिगड़ती सड़कों की स्थिति पर चिंता जताई। पेयजल आपूर्ति एक और मुद्दा था, जिसमें 10 में से चार मतदाताओं ने असंतोष जताया।
आप सरकार ने अक्सर उपराज्यपाल पर अपने काम में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है, लेकिन इस मुद्दे पर मतदाताओं की राय मिली-जुली थी।
लगभग 10 में से तीन मतदाताओं ने महसूस किया कि उपराज्यपाल सरकार के प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं, लेकिन इसी अनुपात में लोगों का मानना था कि आप इसे अपनी प्रगति की कमी के बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
2020 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली के 10 में से सात मतदाता आप को फिर से निर्वाचित करना चाहते थे। मौजूदा चुनावों में यह आंकड़ा घटकर 10 में से पाँच रह गया। यह बड़ी गिरावट है।
आप समर्थकों ने बड़े कारण क्या गिनाए?
आप सरकार को फिर से चुनने के इच्छुक लोगों में से 24 फीसदी ने बताया कि सरकार ने अच्छा प्रदर्शन किया। 20 फीसदी ने कहा कि इसी नीतियाँ और योजनाएँ और गुणवत्तापूर्ण सुविधाएँ अच्छी थीं। एक चौथाई मतदाताओं ने पार्टी के गरीबों और मध्यम वर्ग के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने और दिल्ली के विकास में इसके योगदान की सराहना की।
इसके विपरीत आप को सत्ता में वापस नहीं देखने वालों में 25 फीसदी ने भ्रष्टाचार को मुख्य कारण बताया। 10 में से लगभग दो मतदाताओं ने कहा कि बदलाव की ज़रूरत है। अन्य चिंताओं में खराब शासन और बढ़ती बेरोज़गारी शामिल थी, जिनमें से प्रत्येक का ज़िक्र 10 में से लगभग एक मतदाता ने किया।
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