दिल्ली में पूर्वांचली वोटर निर्णायक हैं। इसके लिए दिल्ली की सियासत राजनीतिक दलों में घात-प्रतिघात करा रही है। जेपी नड्डा के राज्यसभा में दिए गये रोहिंग्या और घुसपैठिये पर बयान को जिस तरह से संजय सिंह ने तत्काल पकड़ा और पूर्वांचलियों की तुलना रोहिंग्या से करने की ‘हिम्मत कैसे हुई’ का सवाल उठाया, उसी समय यह दिल्ली विधानसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा बन गया। बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत यही है कि मनोज तिवारी के अलावा कोई पूर्वांचल का नेता उसके पास नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि इतना प्रभावी नेता आम आदमी पार्टी के पास भी नहीं है। कांग्रेस के पास कन्हैया कुमार है लेकिन इस नाम का फायदा अब तक कांग्रेस को मिला नहीं है। आम आदमी पार्टी ने अवध ओझा को इसी उद्देश्य से जोड़ा है ताकि पूर्वांचली कुनबा पार्टी में दिखाई पड़ सके। संजय सिंह, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज जैसे पूर्वांचली नेताओं की टोली पहले से ही आप में मौजूद है।
पूर्वांचली वोट पर नड्डा ने पलीता लगाया, जेडीयू कर सकेगा भरपाई?
- दिल्ली
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- 26 Dec, 2024

दिल्ली में बीजेपी के पास मनोज तिवारी के अलावा कोई पूर्वांचल का नेता उसके पास नहीं है। ऐसे में जेपी नड्डा के राज्यसभा में दिए गये रोहिंग्या और घुसपैठिये पर बयान से दिल्ली में पार्टी को क्या नुक़सान हो सकता है?
दिल्ली में पूर्वांचलियों के आत्मसम्मान का मुद्दा आम आदमी पार्टी जोर-शोर से उठा रही है और यह ज़मीन पर कारगर भी नज़र आने लगा है। दरअसल, सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने अरविन्द केजरीवाल को ‘रेवड़ी मैन’ के तौर पर प्रोजेक्ट करना शुरू किया है जो केजरीवाल के दिल्ली मॉडल को रेवड़ी मॉडल कहकर मजाक उड़ाने वालों का जवाब है। चूँकि मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त इलाज, अकाउंट में रकम जैसी सुविधाओं का फायदा भी सबसे ज्यादा पूर्वांचलियों को हो रहा है, इसलिए उनके आत्मसम्मान के लिए आम आदमी की ओर से उठाई जा रही आवाज़ भी अर्थपूर्ण लग रही है।