दिल्ली में पूर्वांचली वोटर निर्णायक हैं। इसके लिए दिल्ली की सियासत राजनीतिक दलों में घात-प्रतिघात करा रही है। जेपी नड्डा के राज्यसभा में दिए गये रोहिंग्या और घुसपैठिये पर बयान को जिस तरह से संजय सिंह ने तत्काल पकड़ा और पूर्वांचलियों की तुलना रोहिंग्या से करने की ‘हिम्मत कैसे हुई’ का सवाल उठाया, उसी समय यह दिल्ली विधानसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा बन गया। बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत यही है कि मनोज तिवारी के अलावा कोई पूर्वांचल का नेता उसके पास नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि इतना प्रभावी नेता आम आदमी पार्टी के पास भी नहीं है। कांग्रेस के पास कन्हैया कुमार है लेकिन इस नाम का फायदा अब तक कांग्रेस को मिला नहीं है। आम आदमी पार्टी ने अवध ओझा को इसी उद्देश्य से जोड़ा है ताकि पूर्वांचली कुनबा पार्टी में दिखाई पड़ सके। संजय सिंह, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज जैसे पूर्वांचली नेताओं की टोली पहले से ही आप में मौजूद है।