जहानजेब समी (अबु अबदुल्ला) और उसकी पत्नी हिना बशीर की गिरफ्तारी और इनसे बरामद इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से कई ऐसी सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं जिसने जांच एजेंसियों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक़ यह दंपति करीब आधा दर्जन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल कर रहा था। इनके जरिए लोगों को आंदोलन से जुड़ने और आईएसआईएस की गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा था।
पुलिस ने इनके द्वारा फर्जी नाम से बनाए गये सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच शुरू कर दी है। दंपति के पास से बरामद हार्ड डिस्क की जांच में कई और बातें सामने आ सकती हैं। इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि दिल्ली के किन-किन इलाक़ों के लोग इनसे प्रभावित थे या जुड़े हुए थे।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के तार भी कई संगठनों से जुड़े होने का संदेह है। स्पेशल सेल की हिरासत में मौजूद हिना और समी से इस बारे में गहन पूछताछ की जा रही है। इस बीच पीएफ़आई से जुड़े कुछ संदिग्ध लोगों से भी पुलिस पूछताछ में जुटी है।
दिल्ली दंगों की जांच कर रही पुलिस के लिए लोगों की पहचान करना बड़ी चुनौती बन गई है। असल में पुलिस के पास सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज हैं। इन फुटेज में हिंसा में शामिल लोगों की तसवीरें हैं। शुरुआती जांच में पुलिस को लगा था कि ये फुटेज काफी मददगार होंगी लेकिन पुलिस का यह भ्रम जल्दी ही टूट गया। सीसीटीवी में कई ऐसे लोगों के चेहरे क़ैद हुए हैं जिनकी पहचान करना बड़ी सिरदर्दी है।
पुलिस के पास मौजूद सॉफ्टवेयर (फेस आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) की मदद से इन चेहरों की पहचान करने की कोशिश की गई लेकिन इस सॉफ्टवेयर ने कई ऐसे नाम खोले जिनका हिंसा से कोई लेना-देना नहीं था। सॉफ्टवेयर ने कई ऐसे लोगों की पहचान बताई जिनकी या तो मौत हो चुकी थी या वे उस दौरान जेल में थे। अब पुलिस दूसरे तरीक़े से सीसीटीवी में कैद चेहरों की शिनाख्त करने में जुटी है।
आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन सहित अन्य लोगों से पूछताछ में पता चला है कि दंगों की तैयारी 17 फ़रवरी के बाद ही शुरू हो गई थी। ऐसी जानकारियां भी मिली हैं कि 21 फरवरी को काफी मात्रा में सल्फ़्यूरिक एसिड मंगाया गया था। इस एसिड की सप्लाई में ताहिर के साथी लियाकत की भूमिका संदेह के घेरे में है।
पुलिस को शक है कि दंगों के साजिशकर्ताओं ने कई छोटे-छोटे ग्रुप का इस्तेमाल किया था। एक ग्रुप को दूसरे ग्रुप के बारे में कुछ नहीं बताया गया था। पुलिस को पत्थरों के ढेर लाने और इन्हें एक विशेष आकार में काटने के बारे में भी काफी कुछ पता चल गया है। हिंसा में शामिल लोगों ने एक विशेष रॉड का भी इस्तेमाल किया है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस तरह की तैयारी कैसे और किन लोगों द्वारा की गई थी।
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