दिल्ली शुक्रवार को कोहरे से ढँक गई। हवा बेहद ख़राब रही। शुक्रवार की सुबह हवा का स्तर मापने वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 460 दर्ज किया गया। एक्यूआई को 400 से ऊपर होने पर गंभीर श्रेणी में माना जाता है। दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि सभी सरकारी और निजी प्राथमिक विद्यालय दो दिनों के लिए बंद रहेंगे। इसके अलावा प्रदूषण फैलने से रोकने के लिए भी कई क़दम उठाए गए हैं। अधिकारियों ने स्थिति से निपटने के लिए उठाए जाने वाले उपायों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को आपात बैठक भी बुलाई है।
201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ माना जाता है। पीएम2.5 के पैमाने पर हवा की गुणवत्ता मापी जाती है। पीएम2.5 प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक है। पीएम2.5 का एक्यूआई से सीधा संबंध है। एक्यूआई हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' मोटे कण होते हैं। लेकिन स्वास्थ्य के लिए ये बेहद ख़तरनाक होते हैं। कई बार तो ये कण जानलेवा भी साबित होते हैं।
बहरहाल, वायु गुणवत्ता सूचकांक गुरुवार को ही 400 अंक को पार कर गंभीर श्रेणी में पहुंचने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी प्राथमिक विद्यालय अगले दो दिनों तक बंद रहेंगे।
इसके साथ ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण-III को लागू किया गया है। इसका मतलब है कि गैर-ज़रूरी निर्माण गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया और कुछ श्रेणियों के वाहनों पर भी। परिवहन विभाग ने कहा है कि बीएस-III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल वाहनों पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इन वाहनों पर प्रतिबंध गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के आसपास के इलाकों में भी लागू होगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, एक्यूआई गंभीर होने पर स्वस्थ लोग भी प्रभावित हो सकते हैं और मौजूदा बीमारियों वाले लोग गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
वैसे, ख़राब हवा जानलेवा भी हो सकती है। हाल ही में एक शोध में कहा गया था कि वायु प्रदूषण से दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक भारत में प्रति व्यक्ति जीवन प्रत्याशा में पांच साल से अधिक की कटौती हो सकती है। पूरे दक्षिण एशिया की ही ऐसी स्थिति है। घनी आबादी वाले बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान को लेकर ख़राब हवा से स्वास्थ्य पर इतना गंभीर असर पड़ने की आशंका जताई गई है।
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान यानी ईपीआईसी ने अपने ताज़ा वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक में कहा है कि वैश्विक स्तर पर प्रदूषण के कारण होने वाली जीवन प्रत्याशा में कमी में से आधे से अधिक का नुकसान दुनिया के सबसे प्रदूषित देश बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान वाले इस दक्षिण एशिया में होगा।
पिछले साल मई में 'द लैंसेट' प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित द लैंसेट कमीशन ऑन पॉल्यूशन एंड हेल्थ ने कहा था कि 2019 में सभी तरह के प्रदूषणों के कारण भारत में 23 लाख से अधिक लोगों की अकाल मृत्यु हुई। यह दुनिया में सबसे ज़्यादा है। दुनिया भर में ऐसी 90 लाख मौतों में से एक चौथाई से अधिक भारत में हुई हैं। इसमें भी चौंकाने वाले तथ्य ये हैं कि 2019 में प्रदूषण से भारत में हुई कुल मौतों में से 16.7 लाख मौतों के लिए वायु प्रदूषण यानी ख़राब हवा ज़िम्मेदार थी। देश में उस वर्ष सभी मौतों में से 17.8% मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं।
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