कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो पोस्ट कर यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि यूट्यूब हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में दखल दे रहा है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने तेलंगाना में 18 अक्टूबर को एक रैली संबोधित किया था। अपने संबोधन में उन्होंने हर उस बात को उठाया जो एक जिम्मेदार विपक्ष को उठानी चाहिए।
इसमें बात आर्थिक असमानता की हुई, किसानों की समस्याओं की हुई, महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी की हुई थी। बात इस पर भी हुई कि कैसे लोगों ने परिस्थिति से हार कर आत्महत्या तक की है। कांग्रेस पार्टी ने यूट्यूब पर जब इसका वीडियो डाला तब यूट्यूब ने इस वीडियो पर एक ट्रिगर वार्निंग लगा दिया है।
इसमें यट्यूब ने चेतावनी लिख दी कि कंटेंट में अपने को क्षति पहुंचाने और आत्महत्या की बात है, जो कि सरासर ग़लत है। यह वार्निंग लगा कर यूट्यूब ने विदेशी अखबारों की इस बात को साबित कर दिया है कि भारत में सोशल मीडिया प्लेटफार्म सरकार के इशारे पर विपक्ष की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यूट्यूब से लंबी वार्ता के बाद समझ आया कि वे इसके पीछे अपनी कम्युनिटी गाइडलाइन का हवाला दे रहे हैं।
सुप्रिया श्रीनेत ने इस पर सवाल उठाया कि लोकतंत्र में लोगों की समस्याएं और उनकी दिक्कतों या इससे जूंझ रहे लोग आत्महत्या को मजबूर हैं तो उनकी बात विपक्ष का नेता नहीं करेगा तो कौन करेगा। इस तरह की टिगर वार्निंग लगा कर यूट्यूब क्या साबित करना चाहता है?
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्र चुनाव में हमारे लोकतंत्र की प्रणाली में इस प्लेटफार्म की दखल है। चुनाव के दौरान या उससे अलहदा किसी भी विपक्ष के नेता को या किसी भी व्यक्ति को महंगाई पर बेरोजगारी पर आर्थिक असामनता पर, किसानो की दुर्दशा पर बात करनी पड़ेगी। और अगर लोग मजबूर होकर अपनी जान ले रहे हैं तो सरकार को कटघरे में कौन खड़ा करेगा?
न हम यूट्यूब से भयभीत होंगे न फेसबुक से डरने वाले हैं
उन्होंने कहा कि आज तक सरकार के घटक दल ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स ही थे। लेकिन धीरे- धीरे साफ हो गया है कि जो फौज मीडिया में बनाई गई थी वहीं सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी करते दिख रहे हैं। वाशिंगटन पोस्ट ने जब कहा था कि बड़े प्लेटफार्म ये करते हैं तब हमने एक चिट्टी सुंदर पेचई को लिखी थी। अब हम फिर से कहते हैं कि हम शांत नहीं रहेंगे क्योंकि ये कर के यूट्यूब ने हमारे निष्पक्ष चुनाव और हमारे लोकतंत्र में दखलंअंदाजी की है।
उन्होंने कहा कि आप देखिए और बताएये कि क्या किसी भी तरीके से उस वीडियो में कुछ गलत कहा गया है। अगर गरीबों, वंचितों, पिछड़ो और आदिवासियों की बात करना गलत है तो हम यह गलती 100 बार करेंगे। क्योंकि यह गलती लोकतंत्र में होनी चाहिए। अगर लोकतंत्र में यह बात नहीं उठाई जायेगी लोगों के मुद्दों को उजागर नहीं किया जायेगा तो ये बातें कहां होगी।
न हम यूट्यूब से भयभीत होंगे न फेसबुक से डरने वाले हैं और न ट्विटर से आतंकित हो जायेंगे। आप हमारी रिच कम करिये या कुछ भी करिये लेकिन यह बात कहनी जरुरी थी और यह बात डंके की चोट पर कहते हैं कि जो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के वीडियो के साथ यूट्यूब ने किया है वह वह सर्वथा गलत है और हमारी लोकतंत्रिक प्रणाली में एक विदेशी पावर की दखल है।
जयराम ने कहा, वाशिंगटन पोस्ट के दावे की पुष्टि हुई
यूट्यूब की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के एक वीडियो पर चेतावनी जारी करने की घटना पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी सवाल उठाया है। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि
कुछ दिन पहले ही वाशिंगटन पोस्ट ने खुलासा किया था कि यूट्यूब समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कैसे भारत में सत्तारूढ़ व्यवस्था के हाथों में खेल रहे हैं। लेख में यह भी कहा गया था कि विपक्ष के संदेशों को दबाया जा रहा है। आज यूट्यूब की हरकत से वाशिंगटन पोस्ट ने जो कुछ लिखा है और जो पहले से ही हमारी वास्तविक आशंकाएं थीं, उनकी पुष्टि हुई है।
इसने एक टैगलाइन लगाकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के तेलंगाना में दिए गए भाषण के बारे में लिख दिया कि ये कंटेंट "आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने वाले विषय शामिल हो सकते हैं", यूट्यूब ने बिना किसी संदेह के साबित कर दिया है कि वह भारत की सत्तारूढ़ सरकार के हाथों में खेल रहा है। वह विपक्ष की आवाज को रोकने की बड़ी कोशिश कर रहा है।
उन्होंने पूछा कि क्या गूगल जो यूट्यूब का मालिक है, बताएगा कि "आत्मघाती या आत्मघात" क्या है? क्या अब लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाना सेंसर कर दिया जाएगा?
हमने पहले भी उन्हें लिखा है और हम इन वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियों से समान अवसर और निष्पक्ष दृष्टिकोण के लिए अपनी आवाज उठाते रहेंगे। जो भारत और दुनिया भर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए आज एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
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