दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर हंगामा हो गया है। बुधवार को यहां पर बीजेपी समर्थकों और किसानों के बीच झड़प हो गयी है। किसान नेता राकेश सिंह टिकैत ने कहा है कि मंच पर कब्जा करने की कोशिश की गई और यह झड़प पुलिस फ़ोर्स की मौजूदगी में हुई। उन्होंने कहा कि बीजेपी समर्थकों की कोशिश यह दिखाने थी कि उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के मंच पर कब्जा कर लिया है।
उन्होंने ‘आज तक’ से कहा कि बीजेपी का जो भी कार्यकर्ता मंच पर आएगा, उसका इलाज कर दिया जाएगा। टिकैत ने आरोप लगाया है कि पुलिस प्रशासन ऐसे लोगों को यहां भेजता है।
उन्होंने कहा कि गांवों में बीजेपी नेताओं को घुसने नहीं दिया जाएगा और यहां आने वाले बीजेपी नेताओं की गिरफ़्तारी की जानी चाहिए। इस दौरान बीजेपी के कई नेताओं की गाड़ियों में तोड़फोड़ हुई है। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि क़ानूनों को रद्द करे और एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाए। घटना के बाद मौक़े पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है।
किसानों ने 26 नवंबर से दिल्ली के बॉर्डर्स पर अपना आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है। ग़ाज़ीपुर के अलावा सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर भी किसानों का आंदोलन जारी है।
राज्यपालों को सौंपा था ज्ञापन
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 जून को आंदोलन के सात महीने पूरे होने के मौक़े पर देश भर में राज्यपालों के आवास पर पहुंचकर उन्हें ज्ञापन सौंपा था। कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, बेंगलुरू सहित कई जगहों पर किसान सड़क पर उतरे थे। हरियाणा और पंजाब के कई शहरों में भी किसानों ने प्रदर्शन किया था।
किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसानों ने 26 मई को ‘काला दिन’ मनाया था और सिंघु बॉर्डर पर मोदी सरकार का पुतला भी जलाया था।
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