राज कपूर, देवानंद और दिलीप कुमार की त्रिमूर्ति ने हिंदी सिनेमा को गढ़ने का काम किया है। दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में इंतकाल हो गया है और इसी के साथ ही हिंदी सिनेमा की शुरुआती तिकड़ी का आख़िरी सितारा भी टूट गया। दिलीप कुमार भारतीय सिनेमा में नेहरूवादी युग और मूल्यों के अंतिम प्रतिनिधि थे।
दिलीप कुमार जिनकी तुलना मार्लन ब्रैंडो से की जाती है!
- सिनेमा
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- 14 Jul, 2021

राज कपूर, देवानंद और दिलीप कुमार की त्रिमूर्ति ने हिंदी सिनेमा को गढ़ने का काम किया है। दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में इंतकाल हो गया है। उनकी तुलना हॉलीवुड के शुरुआती मेथड एक्टर मार्लन ब्रैंडो से की जाती है।
पिछली सदी के चौथे दशक में फ़िल्मी दुनिया में दिलीप कुमार की आमद ने अदाकारी के मायने ही बदल दिये। वे भारत ही नहीं, दुनिया भर के उन शुरुआती मेथड अभिनेताओं में से एक रहे हैं जिन्हें ‘थेस्पियन’ कहा जाता है। उन्होंने अपने समय और बाद की पीढ़ियों के अभिनेताओं को अदाकारी का गुर सिखाया है जो उनके जाने के बाद भी जारी रहने वाला है। वैसे तो उनकी आख़िरी फ़िल्म ‘क़िला’ थी जो 1998 में रिलीज हुई थी। इसके बाद से वह स्क्रीन से अनुपस्थिति रहे। लेकिन उनकी आख़िरी सफल और व्यावसायिक फ़िल्म ‘सौदागर’ थी जो 1991 में रिलीज हुई थी।