लाल सिंह चड्ढा अच्छे, मनोरंजक और सार्थक सिनेमा को पसंद करने वाले हर व्यक्ति के देखने लायक एक प्यारी सी फिल्म है। संक्षेप में यह एक बच्चे जैसी मासूमियत और बेहद पवित्र हृदय वाले इनसान की कहानी है जिसका पूरा जीवन निश्छल प्रेम की ताक़त का संदेश है। फ़िल्म बुनियादी तौर पर एक साफ़-सुथरी प्रेमकथा है जिसमें युद्ध और सांप्रदायिकता के विरुद्ध संदेश भी है।

फिल्म लाल सिंह चड्ढा को लेकर इतनी चर्चा क्यों है? आख़िर इस फिल्म में ऐसा क्या है कि इस पर बहस हो रही है कि यह फिल्म देखें या न देखें? पढ़िए इस फिल्म की समीक्षा।
सांप्रदायिक हिंसा की हर घटना पर लाल सिंह की मां कहती है- बेटा बाहर मलेरिया फैला हुआ है। सांप्रदायिकता को भी प्रतीकात्मक तौर पर एक संक्रामक बीमारी बताया गया है। लाल सिंह चड्ढा एक संवाद बोलता है - मजहब से कदी कदी मलेरिया फैलता है।