आज ‘गर्म हवा’ के निर्देशक एम एस सथ्यू 90 के हो गए हैं। 6 जुलाई 1930 को मैसूर में उनका जन्म हुआ था। मुंबई आने के बाद उन्होंने पहले चेतन आनंद के साथ काम किया। भारत-चीन युद्ध पर बनी उनकी फ़िल्म ‘हक़ीक़त’ में वह सहायक थे। 1973 में उनकी फ़िल्म ‘गर्म हवा’ आई थी। भारत विभाजन की पृष्ठभूमि में भारतीय मुसलमान के द्वंद्व और दुविधा को यह फ़िल्म पूरी वास्तविकता के साथ चित्रित करती है। 2013 में इस फ़िल्म का रिस्टोरेशन किया गया था। 14 नवम्बर 2014 को यह 80 सिनेमाघरों में दिखाई गयी थी। तब मिलीनियल युवा दर्शकों ने इसे बड़े परदे पर देखा था।
क्यों महान फ़िल्म ‘गर्म हवा’ की रिलीज के लिये इंदिरा गाँधी को दख़ल देना पड़ा!
- सिनेमा
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- 6 Jul, 2020

‘गर्म हवा’ के निर्देशक एम एस सथ्यू का आज जन्मदिन है। वह 90 साल के हो गए हैं। ‘गर्म हवा’ भारतीय मुसलमानों पर बनी अकेली फ़िल्म है, जो भारत विभाजन के बाद भारतीय मुसलमानों की वास्तविक तसवीर पेश करती है। फ़िल्म के नायक और अन्य किरदार देश के किसी अन्य सामान्य नागरिक की तरह व्यवहार करते हैं।
‘गर्म हवा’ सेंसर बोर्ड द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंद्र कुमार गुजराल की पहल पर लगभग 6 महीनों के बाद मंज़ूर हो पाई थी। तब तक इसके वितरकों ने हाथ खींच लिए थे। इस बीच यह फ़िल्म पेरिस में प्रदर्शित हुई। वहाँ एक फ़िल्म समीक्षक की संस्तुति से इसे कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल और एकेडमी अवार्ड की विदेशी भाषा फ़िल्म की श्रेणी में प्रविष्टि मिली थी। विदेशी फ़िल्म समारोह और अवार्ड में मिली चर्चा और प्रतिष्ठा के पश्चात् यह फ़िल्म भारत में रिलीज हो पाई थी। फ़िल्म के नायक बलराज साहनी ‘गर्म हवा’ थिएटर में नहीं देख पाए थे। फ़िल्म की डबिंग ख़त्म करने के बाद उनका देहांत हो गया था।