फ़िल्म- बाला
डायरेक्टर- अमर कौशिक
स्टार कास्ट- आयुष्मान खुराना, यामी गौतम, भूमि पेडनेकर, जावेद जाफरी, सौरभ शुक्ला, अभिषेक बनर्जी
शैली- कॉमेडी-ड्रामा
रेटिंग- 4/5
फ़िल्म डायरेक्टर अमर कौशिक की कॉमेडी फ़िल्म बनाने में जितनी तारीफ़ की जाए कम है। ‘स्त्री’ के बाद कौशिक फ़िल्म ‘बाला’ अपने दर्शकों के लिए लेकर आए हैं। फ़िल्म ‘बाला’ में कहानी है बालों की। जी हाँ, वही लंबे, घने, घुंघराले ख़ूबसूरत बाल जो कि सभी के सर का ताज होते हैं। फ़िल्म में गंजेपन की समस्या को लेकर दिखाया गया है और इसमें आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर व यामी गौतम मुख्य किरदार में हैं। तो आइये जानते हैं फ़िल्म की कहानी के बारे में।
‘बाला’ में क्या है?
‘बाला’ में कहानी है बालमुकुंद शुक्ला उर्फ़ बाला (आयुष्मान खुराना) की जिनकी बढ़ती उम्र के साथ उनके सिर के बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। अपने गंजेपन को लेकर बाला काफ़ी परेशान हैं और सारे अच्छे-बुरे नुस्खे बाल उगाने के लिए अपना चुके हैं। तो वहीं दूसरी तरफ़ लतिका त्रिवेदी (भूमि पेडनेकर) जो कि साँवली हैं और पेशे से वकील है। वह अपने रंग-रूप के साथ खुद को अपना लेती हैं।
साथ ही बाला एक कॉमेडियन है और एक फ़ेयरनेस क्रीम की कंपनी में काम करता है लेकिन गंजेपन को लेकर हमेशा मायूस ही रहता है। बाला को टिक-टॉक पर फ़ेमस लड़की परी मिश्रा (यामी गौतम) से प्यार हो जाता है और दोनों शादी भी कर लेते हैं। लेकिन बाला ने अपनी पत्नी से अपने गंजे होने की बात छिपाई है। तो क्या यह जानने के बाद बाला की पत्नी परी उसके साथ रहेगी या नहीं? बाला के बाल उगेंगे या नहीं या यूँ ही उसका जीवन बिना बालों के कट जाएगा? यह सब जानने के लिए शुक्रवार को सिनेमाघर में फ़िल्म ‘बाला’ देखने पहुँच जाइये।
‘बाला’ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
फ़िल्म ‘बाला’ के ज़रिए फ़िल्म डायरेक्टर ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं। बाला में गंजेपन के साथ चेहरे की रंगत को लेकर भी दिखाया गया है। गंजेपन, साँवला या काला रंग-रूप होने से हम ख़ुद को और लोगों से कम आँकने लगते हैं और ख़ुद का आत्मविश्वास हम खो देते हैं। आज के दौर में भले ही हम काफ़ी आधुनिक हो चुके हैं लेकिन कभी-कभी किसी और को सुंदर देखकर हम अपना आत्मविश्वास खोने लगते हैं। फ़िल्म में यह मैसेज दिया गया है कि सुंदरता रंग-रूप या बालों से नहीं बल्कि अंदर से निखरती है। हमें अपनी मानसिकता बदलने की ज़रूरत है ख़ुद को बदलने की आवश्यकता नहीं है।
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कलाकारों की अदाकारी
आयुष्मान खुराना की जितनी तारीफ़ की जाए कम है क्योंकि आयुष्मान हर किरदार में फ़िट बैठ जाते हैं और दर्शकों का दिल जीत लेते हैं। एक्टर ने हमेशा की तरह बेहतरीन एक्टिंग की है। तो वहीं भूमि पेडनेकर अपने देसी अंदाज़ और शानदार एक्टिंग के साथ लोगों का दिल जीता। यामी गौतम को ज़्यादा स्क्रीन नहीं मिली लेकिन जो भी मिली उन्होंने अच्छा काम किया। सौरभ शुक्ला, अभिषेक बनर्जी, जावेद जाफरी, सीमा पाहवा, सुनीता राजवर की एक्टिंग की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। सभी ने अपने किरदार को मज़बूती से अंत तक निभाया।
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डायरेक्शन
अमर कौशिक ने इससे पहले फ़िल्म ‘स्त्री’ डायरेक्ट की थी और दर्शकों द्वारा वह काफ़ी पसंद की गई थी। ‘बाला’ के ज़रिए एक बेहतरीन मैसेज के साथ कॉमेडी का तड़का लगाने का काम अमर कौशिक ही कर सकते हैं। फ़िल्म ‘बाला’ की कहानी में दम तो है ही, इसके साथ ही डायरेक्शन भी बेहतरीन है।
क्यों देखें फ़िल्म?
फ़िल्म ‘बाला’ में बेहतरीन डायलॉग के साथ आपको गाने भी पसंद आएँगे। इसके साथ ही कॉमेडी का ऐसा डोज़ आपको मिलेगा कि आप ताली बजाने व पेट पकड़कर हँसने को भी मजबूर हो जाएँगे। गंजेपन को लेकर कई फ़िल्में आ चुकी हैं लेकिन इस कहानी में काफ़ी दम है। आप लोग फ़िल्म बाला को अपने परिवार व बच्चों के साथ देख सकते हैं। फ़िल्म में कुछ छोटी-मोटी ग़लतियाँ या ओवर-एक्टिंग दिखेगी लेकिन वह दमदार कहानी के साथ आपको निराश नहीं करेगी।
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