बिहार में मिलकर सरकार चला रहे बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के नेता सोशल मीडिया पर भी आमने-सामने आ रहे हैं। जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार बीजेपी के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल के एक तंज का जवाब दिया है। इससे पहले भी ये दोनों नेता कई बार आमने-सामने आ चुके हैं।
कुछ दिन पहले अग्निपथ योजना के विरोध में हुई हिंसा के बाद डॉ. संजय जायसवाल ने बिहार सरकार और प्रशासन की भूमिका पर कई गंभीर सवाल उठाए थे और तब जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने पलटवार करते हुए उन्हें इसका जवाब दिया था।
अग्निपथ योजना के विरोध में बिहार बीजेपी के दफ्तरों पर हमले के साथ ही डॉ. संजय जायसवाल और उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के घर पर भी हमला हुआ था।
हालांकि डॉ. संजय जायसवाल ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में किसी भी नेता के नाम का जिक्र नहीं किया था लेकिन क्योंकि यह पोस्ट उपेंद्र कुशवाहा को निशाना बनाकर की गई थी इसलिए कुशवाहा को सामने आना पड़ा।
उपेंद्र कुशवाहा 2019 के लोकसभा चुनाव तक मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री थे और तब उन्होंने बिहार के तमाम जिलों में केंद्रीय विद्यालय के लिए जमीन के मुद्दे को उठाया था।
जायसवाल के अंततः नेताजी स्वयं सफल हो गए, कहने का मतलब यह निकाला जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय कराकर विधान परिषद की सदस्यता हासिल कर ली और जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी बन गए।
लेकिन कुशवाहा ने संजय जायसवाल को जवाब देते हुए लिखा कि आखिर जयसवाल को उनके आंदोलन में क्या गलत दिखा।
कुशवाहा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जहां तक उनके कामयाब होने की बात है तो उन्हें जायसवाल की तरह राजनीति में अनुकंपा में कुछ नहीं मिला है और अगर जायसवाल को इसका ज्ञान ना हो तो उनके राजनीतिक सफर के पन्नों को पलट कर देख लें।
पिछले 2 महीने में बिहार की सियासत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फिर से करवट लेने की आहट सुनाई दी है। नीतीश कुमार ने आरजेडी की इफ्तार पार्टी में शिरकत की थी और अपने आवास पर रखी इफ्तार पार्टी में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को बुलाया था।
जाति जनगणना के मुद्दे पर भी नीतीश बीजेपी के सामने नहीं झुके। बिहार में अग्निपथ योजना के हिंसक विरोध के बाद बीजेपी-जेडीयू के आमने-सामने आने की काफी चर्चा हुई थी। एक साथ सरकार चला रहे दो दलों के बड़े नेताओं का सोशल मीडिया पर फिर से भिड़ जाना बताता है कि बीजेपी और जेडीयू के नेताओं के बीच रिश्ते ठीक नहीं हैं।
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