जाति जनगणना कराने का मामला एक बार फिर जोर पकड़ सकता है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि वह इस मामले में बिहार से दिल्ली तक पदयात्रा करेंगे।
जाति जनगणना की मांग को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक मंच पर हैं। उन्होंने इस मामले में दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी।
तेजस्वी यादव ने सोमवार को विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जाति जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद में पास हो गया है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना को लेकर और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है, इसलिए सड़क पर उतरना पड़ेगा और बिहार से दिल्ली तक पदयात्रा करनी पड़ेगी।
तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा है, “देश-प्रदेश और वंचितों-गरीबों के उत्थान एवं विकास के लिए अतिआवश्यक जातीय गणना की मांग को केंद्र की बीजेपी-आरएसएस सरकार ने ठुकरा दिया है।”
उन्होंने कहा है कि जातीय जनगणना कराने के पक्षधर यूपी-बिहार-झारखंड के दलों से आग्रह है कि जन जागरण हेतु सभी पटना से दिल्ली तक पैदल मार्च करें
क्या करेगी केंद्र सरकार?
बीते दिनों में आरजेडी और नीतीश कुमार के रिश्तों में एक बार फिर गर्माहट बढ़ी है और जाति जनगणना के मुद्दे पर नीतीश और तेजस्वी की यह कदमताल केंद्र सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। क्योंकि मोदी सरकार कह चुकी है कि वह जाति जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है।
नीतीश सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री रामसूरत राय ने कहा था कि जाति जनगणना कराई जानी चाहिए। बीजेपी की सांसद संघमित्र मौर्य ने लोकसभा में जाति जनगणना कराने का समर्थन किया था।
ओबीसी वर्ग के नेताओं का कहना है कि जाति जनगणना से ही पता चलेगा कि पिछड़ी जातियों को कितना आरक्षण मिलना चाहिए और अगर आबादी के अुनपात में आरक्षण देना है तो ओबीसी की संख्या को ग़िनना होगा। वर्तमान में ओबीसी जातियों के बारे में जो अनुमान है, वह 1931 की जाति जनगणना के आधार पर है।
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