बिहार पुलिस ने एक संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि अभियुक्तों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 12 जुलाई के बिहार दौरे के दौरान उन्हें निशाना बनाने की योजना बनाई थी।
पकड़े गए अभियुक्तों के नाम अतहर परवेज़ और मोहम्मद जलालुद्दीन हैं। इन्हें पटना के फुलवारी शरीफ इलाके से गिरफ्तार किया गया है।
फुलवारी शरीफ के एएसपी मनीष कुमार ने बताया कि अभियुक्तों के पास से 8 पेज का एक दस्तावेज भी मिला है जिसमें ‘इंडिया विजन 2047’ लिखा गया है। पुलिस के मुताबिक इसमें ‘कायर बहुसंख्यक समुदाय को अपने अधीन करना और गौरव वापस लाने’ की बात कही गई है।
पुलिस ने बताया कि परवेज़ का छोटा भाई साल 2001-02 में बिहार में हुए बम धमाकों में जेल जा चुका है।
एक अभियुक्त मोहम्मद जलालुद्दीन झारखंड पुलिस का रिटायर्ड अफसर है जबकि अतहर परवेज़ स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी का सदस्य रहा है। पुलिस ने बताया कि परवेज़ वर्तमान में पीएफआई और एसडीपीआई का भी सदस्य है।
पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए दोनों अभियुक्तों को पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की जैसे कई इस्लामिक देशों से फंडिंग होती थी।
एएसपी ने कहा कि इनसे मिले दस्तावेजों में 2047 में भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए दूसरे संप्रदाय के खिलाफ विद्वेष पैदा करना और दूसरे देशों पाकिस्तान आदि की मदद लेकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना जैसी बातें लिखी हुई हैं।
इंटेलिजेंस ब्यूरो को फुलवारी शरीफ में इस तरह का आतंकी मॉड्यूल चलने की जानकारी मिली थी। इसके बाद बिहार पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने फुलवारी शरीफ के नया टोला इलाके में 11 जुलाई को छापेमारी की और इन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया।
एएसपी ने कहा कि 6 से 7 जुलाई को मार्शल आर्ट के नाम पर फुलवारी शरीफ में स्थानीय लोगों को तलवारों और चाकुओं का इस्तेमाल करना सिखाया गया था। उन्होंने कहा कि इन्होंने बाकी लोगों को धार्मिक हिंसा के लिए उकसाया था और इससे जुड़ी सीसीटीवी फुटेज पुलिस को मिली है। एएसपी ने कहा कि परवेज ने लाखों रुपए का चंदा हासिल किया था और ईडी इसकी जांच कर रही है।
सीएए आंदोलन के बाद दिल्ली दंगों के दौरान हुई हिंसा, उत्तर प्रदेश में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में भी पीएफआई का नाम आया था लेकिन पुलिस को पीएफआई के खिलाफ कोई ठोस सुबूत नहीं मिले थे।
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