चुनावी मंच पर नक़ली बैलेट बाक्स को हाथ में लेकर उसके एक बटन पर उंगली दबाकर लालू यादव ‘पी...ईंइंंइंइंइंइंइं’ शब्द को लंबी सांस लेकर जब बोलना शुरू करते थे तब वहाँ मौजूद भीड़ हँस-हँस कर लोट-पोट हो जाती थी। 2009 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक सभा में लालू यादव द्वारा छपरा में अपने भाषण के दौरान बोले जा रहे इस शब्द को सुनने के बाद एक श्रोता ने हंसते हुए इस लेखक से कहा था, ‘इसीलिए हम खाना खाकर लालू जी का भाषण सुनने आते हैं। खाली पेटे हंसला पर बाद में बरियार दरद कबर जाता है।’ वहीं पर खड़े दूसरे श्रोता ने त्वरित टिप्पणी की, ‘हम किसी नेता का भाषण सुनने नहीं जाते हैं, केवल और केवल लालू यादव की सभा में आता हूँ। बस भाड़ा वसूल हो जाता है, देह में गुदगुदी पैदा होती है, खाना पच जाता है। हंसने की कसरत हो जाती है, बाक़ी नेता के भाषण सुनने से कुछुवो प्राप्त नहीं होता है और धन की भी बरबादी होती है।’