55 वर्षीय सरोज सिंह गाँव के चौपाल पर क़रीब-क़रीब हर रोज़ दिखते थे। 6-7 दिनों से नहीं दिखे। पूछने पर पता चला कि बीमार हैं। उन्हें बुखार और सर्दी-जुकाम है। कोरोना है या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं है। वह गाँव में ही कुछ एंटीबायोटिक और पेरासिटामोल दवाएँ ले रहे हैं। वह गाँव में अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो बीमार पड़े और ऐसी ही दवाओं पर निर्भर हैं। पड़ोस के गाँवों में भी ऐसे ही हालात हैं।
बिहार: अजीबोगरीब! गाँव में बीमार सब हैं, पर कोरोना संक्रमित कोई नहीं!
- बिहार
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- 11 May, 2021

गाँवों में लोग बीमार हैं। लेकिन ग्रामीणों के लिए कोरोना जाँच कराना इतना आसान नहीं है, इसलिए जाँच कराने से बेहतर सर्दी-जुकाम और बुखार की दवाओं से अपना इलाज करा रहे हैं।
बिहार के औरंगाबाद ज़िला मुख्यालय से क़रीब 25 किलोमीटर दूर परसा नाम के क़स्बे के सरोज सिंह से पास के ही गाँव खैरा में एक चौपाल पर क़रीब 15 दिनों पहले मेरी मुलाक़ात हुई थी। तब 6-7 लोग वहाँ बैठे थे। उनमें दो लोग बीमार भी थे। मैं उस रास्ते गुज़र रहा था तो हालचाल पूछने रुक गया। कोरोना वायरस के प्रति आगाह किया तब सरोज सिंह तपाक से बोल पड़े- 'जिसका टिकट कट गया होगा न उसको कोई नहीं रोकेगा।' बिना देर किए मैंने भी तुरत रेलवे लाइन की तरफ़ इशारा कर कह दिया कि पड़ जाइए रेलवे लाइन पर टिकट कटा होगा तो...।