बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का परिणाम चाहे जो हो, चुनाव के दौरान एनडीए के 'डबल इंजन' को कई बार विपरीत दिशा में चलते देखा गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'पलटू राम' कहना आसान है लेकिन उनकी राजनीति जिस धार पर चली है, उसमें उनके लिए बहुत विकल्प नहीं थे।

2017 में जब बीजेपी ने नीतीश कुमार का साथ देकर सरकार बनाने का फ़ैसला किया तो जेडीयू के कुछ स्टैंड उसे मालूम थे। कश्मीर में धारा 370 निष्क्रिय करने, तीन तलाक़ और सीएए-एनआरसी पर दोनों दलों की राय बिल्कुल अलग थी। परंतु लोकसभा में प्रचंड बहुमत और ज़बरदस्त जोड़तोड़ से बीजेपी ने इन मुद्दों पर वैसे फ़ैसले लिए जो जेडीयू के लिए बहुत ही असहज करने वाले थे।
नीतीश इस कार्यकाल के पहले 18 महीने तक आरजेडी के साथ थे। लेकिन जब वो पलटे और बीजेपी के साथ सरकार बनाने का फ़ैसला किया तो सब हतप्रभ थे।
नीतीश कुमार की एनडीए सरकार को ‘डबल इंजन’ की सरकार का नाम दिया गया लेकिन ये दोनों इंजन यानी बीजेपी (केंद्र) और जेडीयू कुछ बुनियादी मामलों में विपरीत दिशा में चल रहे थे। यही बात 2020 के चुनाव में कुछ अन्य मामलों में भी सामने आई।