बिहार में इस हफ्ते जहरीली शराब पीकर करीब तीन दर्जन लोगों ने अपनी जान गंवा दी लेकिन शनिवार को बिहार के हिन्दी अखबारों के पटना संस्करण में पहली खबर यह नहीं थी। दिवाली की बंदी के कारण शुक्रवार को शराबबंदी से मौत की खबर अखबारों से नहीं मिली थी। लेकिन छुट्टी के बाद छपे अखबारों में से एक को छोड़कर सबने खबर में नीतीश कुमार के बयान को अहमियत दी और एक तरह से मौत की खबर दबा दी। ’दैनिक भास्कर’ की हेडिंग से उधार लिया जाए तो अधिकतर अखबार शराब से मौतों की खबर पी गये।
शनिवार की शाम तक मिली विभिन्न खबरों के अनुसार कम से कम चालीस लोगों की मौत जहरीली शराब से हो चुकी है।
हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रुप के ’हिन्दुस्तान’ ने शराब से होने वाली मौतों की खबर को अपने दूसरे फ्रंट पेज पर जगह दी है। इसके पहले दो पेज जैकेट ऐड हैं। इसके बाद पहला फ्रंट पेज है जिसकी लीड खबर है- बिहार में पेट्रोल रु 8.20 और डीजल रु 13.90 सस्ता। इसके बाद के ’फ्रंट पेज’ की लीड खबर की हेडिंग है- छठ के बाद जबरदस्त शराबबंदी अभियान। इसके साथ दो काॅलम की खबर है- 36 घंटे में जहरीली शराब से बेतिया में 16 लोगों की मौत। इस खबर से संबंधित खबरें विस्तार से हैं जिसकी हेडिंग है- तीन जिलों में शराब से 10 दिनों में 30 की मौत। इस अखबार की परंपरा के अनुरूप यह नहीं बताया गया कि इससे पहले बिहार में जहरीली शराब से कहां-कहां मौतें हो चुकी हैं।
’प्रभात खबर’ की लीड खबर का शीर्षक है- गड़बड़ी करने वाले अफसरों व कर्मियों की खोज कर करें कठोर कार्रवाईः सीएम। इसके साथ एक और खबर दी गयी है जिसकी हेडलाइन है- दो थानेदार व दो चौकीदार निलंबित, सात गिरफ्तार। अंदर के पन्नों पर भी शराबकांड में जान गंवाने वालों के बारे में कोई बड़ी साइड स्टोरी नहीं है।
प्रमुख उर्दू दैनिक ’कौमी तन्जीम’ के पहले पेज की सुर्खी है- गड़बड़ी करने वाले अफसरान पर सख्त कार्रवाई करें। इसके बगल में जहरीली शराब से हुई मौत की छोटी सी खबर है।
’टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने अपने पहले पेज पर जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या बढ़कर 26 होने और दो थानेदारों के निलंबित होने की खबर लीड बनायी है।
’हिन्दुस्तान टाइम्स’ ने इसे पहले पेज की दूसरी खबर बनायी है जिसमें छह और के मरने और कुल मौत 26 तक पहुंचने की बात हेडलाइन में है।
बिहार में 2017 से शराबबंदी लागू है और तब से दर्जनों लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो चुकी है। इनमें से अधिकतर लोग कमजोर तबके के थे जो महंगी शराब नहीं खरीद सकते। बिहार में शराबबंदी के बाद बड़े पैमाने पर पुलिस की मिलीभगत से शराब का धंधा चलने की बात सामने आती रही है लेकिन अखबारों में शायद ही इस मामले में सरकार से सवाल पूछे जाते हैं।
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